आंध्र प्रदेश के चित्तूर में स्थित कालाहस्तीश्वर स्वामी मंदिर में ध्वजारोहण के साथ ही ब्रह्मोत्सव की शुरुआत हो गई है। यह ब्रह्मोत्सव 18 मार्च तक चलेगा। ब्रह्मोत्सव की शुरुआत के साथ यहां 12 दिनों तक चलने वाली शिवरात्रि का भी आगाज हो गया है। गौर करने वाली बात है कि ब्रह्मोत्सव दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध महोत्सवों में से एक है। इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं। जैसे-जैसे उत्सव आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे भक्तों की संख्या भी बढ़ने लगेगी।
श्रीकालाहस्ती (मकड़ी, नाग और हाथी के संयुक्त नाम से प्रसिद्ध) को पंचभूत स्थलों में से एक गिना जाता है। यहां शिव की वायुलिंग के रूप में पूजा होती है। मान्यता है कि मंदिर परिसर में एक हजार शिवलिंग स्थापित हैं। इसे राहु-केतु क्षेत्र भी कहा जाता है। राहुकाल में पूजा के लिए यह मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है, यहां 100 खंभों का एक मंडप भी स्थित है।
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