सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है। ये महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय समय है। इस दौरान शिवालयों में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की होड़ मची रहती है। आखिर शिवलिंग पर जल चढ़ता क्यों है, क्या है इसके पीछे की कथा।
दरअसल, शिवपुराण के अनुसार, जब देव लोक यानि स्वर्ग, श्रीहीन अर्थात लक्ष्मीविहीन हो गया तो देवताओं और असुरों को समुद्र मंथन का सुझाव मिला। समुद्र मंथन से सबसे पहले हालाहल यानि विष निकला, जिससे पूरे संसार के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे। ऐसे में शिव जी ने स्वयं आगे बढ़कर जिम्मेदारी निभाई और सृष्टि के कल्याण के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे वो नीलकंठ भी कहलाए। चूंकि ये काफी जहरीला था और भगवान शिव को कोई क्षति न पहुंचे, इसलिए भगवान विष्णु ने सबसे पहले शिव जी का जल से अभिषेक किया। यह देखकर अन्य सभी देवी और देवताओं ने भी जल चढ़ाया जिससे उन्हें शीतलता मिली और विष का प्रभाव खत्म होने लगा। तभी से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई।