छठ पूजा के महापर्व का आज तीसरा दिन है. आज शाम को सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. अर्घ्य देने से पहले बांस की टोकरी को फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान से सजाया जाता है. सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा होती है फिर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है. अगले दिन यानी कि 11 नवंबर गुरुवार को उगते सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा. आइए जानते हैं छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और सुबह के अर्घ्य का शुभ मुहूर्त. साथ ही जानेंगे छठ की पौराणिक कथा. सांध्य अर्घ्य का मुहूर्त : सूर्य को अर्घ्य देने का समय - शाम में 4:30 से 5:26 बजे शाम उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय - सुबह 6:34 बजे डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की प्रथा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. कहा जाता है कि इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ मिलता है. जो लोग डूबते सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें उगते सूर्य की भी उपासना जरूर करनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा इससे सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.
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