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मौनी अमावस्या पर क्या है स्नान-दान का महत्त्व?

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन नदी में स्नान करने मात्र से ही जीवन के सभी पाप मिट जाते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस साल मौनी अमावस्या 01 फ़रवरी, दिन मंगलवार को है। मौनी अमावस्या के दिन सभी देवी-देवता गंगा नदी में वास करते हैं, जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। इस वजह से ही प्रयागराज में त्रिवेणी के संगम तट पर लोग स्नान कर महापुण्य करने से नहीं चूकते हैं। लेकिन इस बार भी चारों तरफ़ कोराना का क़हर है। अगर आप चाहें तो घर पर भी नियमपूर्वक स्नान-दान और व्रत करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। -मौनी अमावस्या पर स्नान-दान का महत्व मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का महत्त्व है। इस दिन आप 'हर हर गंगे' का जयघोष करते हुए स्नान करें और मां गंगा से अपने कष्टों तथा पापों को दूर करने एवं मोक्ष प्रदान करने की प्रार्थना करें। मौनी अमावस्या के दिन अगर आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिला कर स्नान करें और मां गंगा का ध्यान करके पापों एवं कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करें। इस दिन स्नान के बाद सूर्य देव को विधिपूर्वक जल अर्पित करें। उनसे सुख-समृद्धि एवं संतान के लिए प्रार्थना करें। मान्यता है कि पितरों के निमित्त, मौनी अमावस्या पर पानी में काले तिल और चावल डालकर तर्पण करना चाहिए। साथ ही पितरों को स्मरण करके उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए प्रार्थना करें। वे ख़ुश होकर आपके परिवार को ख़ुशहाल जीवन का आशीर्वाद प्रदान करेंगे। मौनी अमावस्या पर पूजा और प्रार्थना के बाद दान करना ज़रूरी माना जाता है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, अनाज, जूता आदि का दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के बाद मौन व्रत धारण करें। मौन व्रत धारण करने का उद्देश्य अपनी आंतरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाना है और साथ ही आत्मावलोकन करना है, ताकि आपको अपने जीवन का उद्देश्य प्राप्त हो सके। इस दिन सात्विक भोजन या फलाहार करें और वाणी पर संयम रखें।