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हिंदू धर्म में विजया एकादशी व्रत को विशेष माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को विधि पूर्वक करने से शत्रु पराजित होते हैं।

एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत को जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ और कठिन माना गया है। आइए जानतें हैं विजया एकादशी व्रत कब है। कब है विजया एकादशी व्रत? हिंदु पंचांग के अनुसार 27 फ़रवरी 2022, दिन रविवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में विजय प्राप्त होती है। शत्रुओं पर जीत हासिल होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि, शनिवार 26 फ़रवरी को सुबह 10 बज कर 39 मिनट से प्रारम्भ होगी, जो अगले दिन यानी 27 फ़रवरी रविवार की सुबह 8 बज कर 12 मिनट तक रहेगी। शुभ संयोग विजया एकादशी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। विजया एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बज कर 11 मिनट से लेकर 12 बज कर 57 मिनट तक रहेगा। व्रत कथा पौराणिक कथा के अनुसार राम वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। तब भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हुए। माता सीता की खोज के दौरान हनुमान जी की मदद से भगवान राम की वानर राज, सुग्रीव से मुलाकात हुई। वानर सेना की मदद से भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र तट पर आए। लेकिन समुद्र के चलते लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए? इसके लिए उन्हें कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। अंत में भगवान राम ने समुद्र से ही मार्ग के लिए निवदेन किया, परंतु मार्ग नहीं मिला। फिर भगवान राम ने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा। तब ऋषि-मुनियों ने विजया एकदाशी का व्रत करने की सलाह दी।