केदारनाथ: केदारनाथ घाटी में पर्यावरण के लिए ख़तरा होते जा रहे प्लास्टिक के लिए प्रशासन द्वारा एक नई पहल की जा रही है। प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा पानी के बोतलों द्वारा क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। यह क्यूआर लगाने की प्रक्रिया बीते 3 महीने से चल रही है। हालिया दिनों में देखने को मिल रहा कि उत्तराखंड या केदारनाथ घाटी में पर्यावरण को कितना नुकसान पहुँच रहा है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु और पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है जिससे घाटी को काफ़ी नुक्सान पहुँच रहा है। केदारनाथ धाम को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है और इसके लिए क्यूआर कोड का सहारा लिया गया है। इस अभियान के तहत केदारनाथ में फैल रहे प्लास्टिक के बोतलों को एकत्रित किया जाएगा। वहीं क्यूआर कोड वाली प्लास्टिक की बोतल खरीदने वाले श्रद्धालु अगर उस बोतल को वापस करते है तो उन्हें इनाम के रूप में 10 रुपए वापस दिए जाएँगे। केदारनाथ धाम के अलावे यह अभियान अब सोनप्रयाग, गुप्तकाशी और गौरीकुंड में भी दिखने लगा है और साथ ही साथ अगल बगल के और बाज़ारों में भी यह अभियान दिख रहा है। उपजिलाधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं को यह योजना काफ़ी आकृषित कर रही है और इसमें लोग बढ़ चढ़ कर सहयोग कर रहे हैं। केदारनाथ घाटी में यह अभियान तेज़ी पकड़ने लगा है। इसके साथ ही की केदारनाथ घाटी में वन टाइम प्लास्टिक के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ भी मुहिम चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गरत प्रशासन द्वारा जन-जागरण अभियान चलाया जा रहा है इसमें केदारनाथ घाटी में लाउडस्पीकर लगा लोगों को जागरूक किया जा रहा है प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले नुक़सान के बारे में।
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