वाराणसी: कोरोना महामारी के बाद पर्यटन के क्षेत्र में काफ़ी बदलाव आया है। पूरी दुनिया ने इस महामारी का प्रकोप झेला और सबसे ज्यादा असर इसका पर्यटन के क्षेत्र पर पड़ा। ऐसे में ही उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास में स्थित चंदौली जिले में है चन्द्रप्रभा वनजीव अभयारण्य जो कोरोना शुरू होने के पहले पर्यटकों से गुलज़ार रहा करता था। देश ही नहीं विदेशों से भी पर्यटक यहाँ राजदरी-देवदरी जलप्रपात को देखने आया करते थें। गुज़रते वक़्त के साथ यहाँ सुविधाओं की भी कमी होने लगी और इस बीच कोरोना ने भी अपना काम कर दिया जिसकी वजह से पूरी दुनिया थम सी गई। इन सारे कारणों की वजह से प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या गिरने लगी। इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा राजदरी-देवदरी जलप्रपात को विकसित करने का निर्णय लिया गया और इसका कार्य भी किया जा रहा है। काशी और बनारस आने वाले पर्यटकों और सैलानियों आकर्षित कर वापस इस वनजीव अभयारण्य में लाने की योजना पाएर काम किया जा रहा है। विकसित किए जा रहे राजदरी-देवदरी जलप्रपात में पर्यटकों के लिए ख़ास इंतेजाम किए जा रहे हैं जिससे उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े। डेवलपमेंट कार्य में पर्यटकों की सुविधा के लिए ठहरने की व्यवस्था और मनोरंजन के ख़ास इंतेजाम किए जा रहे हैं। इस योजना का ना सिर्फ़ राजस्व बढ़ेगा बल्कि लोकल लोगों के साथ साथ बाक़ी लोगों के लिए रोज़गार का साधन भी बढ़ेग। राजदरी-देवदरी जलप्रपात में पर्यटकों को इन सुविधाओं के अलावे इस जलप्रपात की जानकारी हेतु यहाँ पर गाइड का भी इंतेजाम किया जाएगा जिससे इस स्थान के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी हो पाएगी। पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने की वजह से यहाँ के प्रति पर्यटकों का मोह धीरे धीरे ख़त्म होते जा रहा है जिससे राजस्व में भी कमी आई है। जुलाई महीने के आकड़े के अनुसार जलप्रपात के राजस्व में सिर्फ़ 12.50 लाख रुपए की वृधि हुई है और अब तक अगस्त में 28.62 लाख की ही राजस्व की प्राप्ति हो पाई है। कोरोना महामारी की वजह से वर्ष 2020 में जुलाई व अगस्त महीने में पर्यटकों के प्रवेश पर मनाही होने की वजह से राजस्व की प्राप्ति शून्य रही थी। राजदरी-देवदरी जलप्रपात में ईको टूरिज्म के तहत बहुत सी सुविधाओं को विकसित करने का कार्य चल रहा है। छर करोड़ की लागत से यहाँ एयर कंडीशन डारमेट्री कमरा, आडिटोरियम, इंटरप्रटेशन सेंटर, स्वागत कक्ष, बाथरूम, साइकिल ट्रैक, नेचर ट्रेल, काटेज हाउस का निर्माण किया जा रहा है। मिली जानकरी के अनुसार कार्य 90 फ़ीसदी तक ख़त्म कर लिया गया है हालाँकि ऐसी सुविधाएँ पहले से मौजूद थी पर उनकी हालत ऐसी नहीं थी की इसका पर्यटकों द्वारा इस्तेमाल किया जा सके।
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