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आखिर मंदिर का नाम क्यों पड़ा लंगड़े की चौकी?

आगरा: भक्त का भगवान से जन्मों जन्मांतर से रिश्ता चला आ रहा है और भगवान अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते है, जब जब भक्त को प्रभु की जरूरत हुई है तब तब भगवान ने अवतार लिया है। ऐसा ही आगरा का ऐतिहासिक मंदिर है जिसका इतिहास अकबर के शासनकाल से जुड़ा है कहा जाता है जब आगरा में अकबर का शासनकाल था, उसके यहाँ एक चौकी पर सुरक्षा के लेहाज से एक सैनिक काम करता था। बता दे ये सैनिक प्रभु श्री राम का भक्त था और प्रतिदिन श्रीराम जी की कथा सुनने के लिए जाया करता था, इस बात की खबर जब मुगल सम्राज्य के सिपाहियों को मिली तो उन्होंने उस सैनिक का एक पैर काट दिया गया जिससे की वह सैनिक अपनी ड्यूटी छोड़कर दुबारा रामकथा सुनने के लिए न जाए। पर इसके बाद एक से बढ़कर एक चमत्कार होने लगे, दरअसल एक बार आगरा के सिकंदरा मे रामकथा हो रही थी, तो वह चौकीदार वहां मौजूद था परन्तु जब अन्य चौकीदारों कोतवाल चौकी गए तो वह लंगड़ा चौकीदार वहां अपनी ड्यूटी पर तैनात था। लंगड़े चौकीदार को देखकर सब अचंबित रह गए कि एक ही व्यक्ति 2 जगह कैसे उपस्थित रह सकता है। जब चौकीदार से इस बारे में पूछा गया कि वह एक समय पर दो जगह कैसे उपस्थित रह सकता है, तो उस चौकीदार ने बताया कि मेरी ड्यूटी स्वयं हनुमान महाराज करते हैं। इस घटना के बाद इस मंदिर का नाम लंगड़े की चौकी मंदिर पड़ गया। बता दे आसपास के राज्यों और इलाकों से लोग यहां पर हर मंगलवार को विशेष तौर पर पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। लोगों की आस्था है कि यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। लंगड़े की चौकी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध और प्राचीन है। कई लोग हर मंगलवार को विशेष तौर पर हनुमान जी महाराज को चोला चढ़ाने के लिए यहां आते हैं।