देहरादून (उत्तराखंड): हम सभी गणेश उत्सव मना रहे है,जगह जगह बप्पा के पंडालों से लेकर घरों मे श्री गणेश विराजमान है,पर क्या आप जानते है कि श्री गणेश का एक ऐसा भी मंदिर है जिसमें भगवान गणेश बिना सर के विराजमान है,जी हाँ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर सोनप्रयाग से करीब दो किमी आगे मुनकटिया गांव है।इसी गाँव मे भगवान गणेश का प्राचीन मुनकटिया मंदिर स्थित है।
जैसे कि हम सभी ने शिव पुराण में पड़ा ही है कि भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश जी का सिर काट दिया था। क्योंकि गणेशजी ने उन्हें माता पार्वती के कक्ष में प्रवेश करने से रोक दिया था।गणेशजी को यह जानकारी नहीं थी कि भगवान शिव जी ही उनके पिता हैं।
मां पार्वती देवी गौरीकुंड में स्नान करने जा रही थीं। तब उन्होंने हल्दी के लेप से एक मानव रूप बनाया और उस शरीर में प्राण फूंक दिए।
मां पार्वती ने उस मानव को अपने बेटे के रूप में स्वीकार किया। इस दौरान मां पार्वती ने अपने बेटे को आदेश दिया कि वह किसी को भी उनके कक्ष में प्रवेश न करने दे।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सिर काटने के बाद इसी स्थान पर गणेशजी के धड़ पर हाथी का सिर लगाया था। भगवान गणपति के भक्त इस मंदिर मे बिना सर वाले गणपति की पूजा अर्चना करते है
इस मंदिर का मुंडकटिया दो शब्दों यानी मुंड (सिर) और कटिया (अंग) से मिलकर बना है। जिसके बाद से यह मंदिर मुनकटिया मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ,और आज दूर दराज से लोग इस मंदिर मे भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आते हैं!