"श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि" भगवान विष्णु के इस मंत्र जो श्रद्धापूर्वक जपने से व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आ जाता है। वह पतन से उत्थान की ओर जाने लगता है। जिस तरह इंसान की स्थिति में परिवर्तन आता है, उसी तरह पंचांग की तिथि में भी परिवर्तन आता है। ऐसा परिवर्तन, जहाँ भगवान विष्णु योग निद्रा में करवट बदलते हैं। हिंदू धर्म में इस परिघटना को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आषाढ़ मास की देवशयनी एकदाशी को भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी को विष्णु जी योग निद्रा से बाहर आते हैं। इसके बाद ही शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत आज यानी कि 6 सिंतबर, दिन मंगलवार को रखा जा रहा है। इसे जलझूलनी एकादशी और पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पाताल लोक में क्षीर निद्रा में वास कर रहे भगवान विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं। जिस कारण से इस एकादशी का नाम परिवर्तिनी एकादशी पड़ा है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा-अर्चना करने का विधान है। परिवर्तिनी एकादशी के दिन कुछ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं, कौन-से हैं वो कार्य…
इन चीजों का ना करें सेवन
परिवर्तिनी एकादशी के दिन गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी के दिन अनाज का सेवन ना करने से, लोगों के बीच आपका वर्चस्व बना रहता है। अगर आप परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो गलती से भी चावल का सेवन ना करें। माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से व्यक्ति का अगला जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है।
ना करें किसी की बुराई
इस दिन दूसरों की बुराई करने से बचना चाहिए। कहते हैं कि व्रत का ज्यादातर समय भगवान की आराधना और पूजा-अर्चना में ही बिताना चाहिए। साथ ही, किसी से झूठ न बोलें और दुष्ट लोगों से इस दिन दूर रहने में ही भलाई होती है।
ना करें तामसिक भोजन का सेवन
एकादशी के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। यदि आप व्रत नहीं करते हैं तो भी एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
माना जाता है कि अगर परिवर्तिनी एकादशी का व्रत, नियम और श्रद्धापूर्वक करा जाए, तो व्रत करने वाला व्यक्ति, दिव्य फल प्राप्त करता है और उस पर हमेशा भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।