सदियों से हम नवरात्रि का त्यौहार मनाते आ रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीकों से इस त्यौहार को मनाया जाता है। माँ दुर्गा के प्रति अपना भक्तिभाव दर्शाने में, भक्त कोई कसर नहीं छोड़ते। कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर, नवरात्रि के व्रत रखते हैं, तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख, मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और इसकी मान्यता क्या है? आइए जानते हैं…
नवरात्रि से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वह अमर होना चाहता था और उसी इच्छा के चलते, उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। ब्रह्मा जी उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि, उसे जो भी वर चाहिए, वह मांग सकता है। यह सुनकर महिषासुर ने अमर होने का वरदान मांगा।
महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले, “जो इस संसार में पैदा हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर, जो चाहो मांग लो।” ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा, “ठीक है प्रभु, फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए, जिससे मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता के हाथों हो सके, ना ही किसी असुर के और ना ही किसी मानव के हाथों। अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों ही हो।
महिषासुर की ऐसी मांग सुनकर, ब्रह्मा जी ने उसे वरदान दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद तो महिषासुर, राक्षसों का राजा बन गया। उसने देवताओं पर आक्रमण कर, उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। देवतागण घबरा गए। उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया, जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया। लेकिन महिषासुर ने सभी को पराजित कर दिया और देवलोक पर राज करने लगा।
महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ, आदिशक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली, जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। देवी दुर्गा को देख, महिषासुर उन पर मोहित हो गया और उनसे विवाह करने का बार-बार प्रयत्न करता रहा।
देवी दुर्गा मान गईं, लेकिन उन्होंने महिषासुर के सामने एक शर्त रख दी। शर्त यह थी कि देवी दुर्गा, महिषासुर से तभी विवाह करेंगी, जब वह, उनसे युद्ध में जीत जाए। महिषासुर मान गया और फिर युद्ध शुरू हो गया, जो पूरे नौ दिनों तक चलता रहा। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया। तब से ही नवरात्रि का यह पर्व, आज तक बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
नवरात्रि, अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भक्त, श्रद्धापूर्वक माँ दुर्गा की उपासना एवं व्रत इन नौ दिनों में करते हैं, उन पर बुराई कभी हावी नहीं होती और देवी माँ का आशीर्वाद उन पर सदैव बना रहता है।