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हमारे बड़े-बुजुर्ग क्यों देते हैं ‘दूधों नहाओ, पूतों फलो’ का आशीर्वाद?

सनातन धर्म, अपनी परंपराओं और मान्यताओं के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है। हिंदू धर्म के रीति-रिवाज और इससे जुड़ी परंपराएं ही इसे खास बनाती हैं। हिंदू धर्म में अपने से बड़ों और बुजुर्गों का आदर- सम्मान करने की परंपरा, शुरू से ही आत्मसात है। जिस प्रकार हम देवी-देवताओं के समक्ष, शीश झुकाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, ठीक उसी तरह बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, हम उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम और साथ ही चरणस्पर्श करते हैं। कहते हैं कि बड़े-बुजुर्गों द्वारा दिया गया आशीर्वाद, हमारे जीवन में ढेर सारी खुशियां लाता है और साथ ही हमें कष्टों से दूर रखता है।

आपने देखा होगा कि जब कोई लड़की शादी के बाद ससुराल जाती है तो वह सबके पैर छूती है और उसे कई अलग-अलग तरह के आशीर्वाद मिलते हैं। लेकिन अक्सर आपने बुजुर्गों को एक ही आशीर्वाद देते हुए सुना होगा, “दूधों नहाओ, पूतों फलो”। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस आशीर्वाद का अर्थ क्या है? यह क्यों दिया जाता है? इसकी क्या मान्यता है? तो आइए आज हम आपको बताते हैं इस आशीर्वाद के बारे में...

आखिर क्यों दिया जाता है महिलाओं को यह आशीर्वाद?

नई-नवेली दुल्हनों को ‘दूधों नहाओ, पूतों फलो’ का आशीर्वाद दिया जाता है। इस आशीर्वाद का अर्थ है कि, “आप भविष्य में दूध से नहाएं और पुत्र का सुख भोगें।” या यूं कहें कि, “आपके घर धन-संपत्ति, सुख-समृद्धि और संतान सुख आए। दूध से स्नान वही शख्स करता है जिसके पास बहुत धन होता है और वहीं जिसकी संतान ना हो उसका जीवन भी अधूरा रहता है।

बस यही वजह है कि घर के बड़े-बूढ़े अपने घर आई नई दुल्हन को उसके सुख और अच्छे जीवन के लिए उसे ऐसा आशीर्वाद देते हैं। वे भगवान से दुआ मांगते हैं कि उस नवविवाहिता को जल्द से जल्द माँ बनने का सुख मिले। उसकी गोद, बच्चों की किलकारियों से भर जाए। ऐसा कर, घर के बड़े-बूढ़ों को भी नन्हें बच्चों को अपनी गोद में खिलाने का मौका मिल जाता है। वहीं बच्चे आते हैं तो खर्चा भी होता है। इसलिए संतान सुख की कामना के साथ, धन और वैभव की कामना भी की जाती है।

आशीर्वाद का अर्थ

हिंदू धर्म में आशीर्वाद देना और आशीर्वाद लेना दोनों का ही विशेष महत्व है। जहां बुजुर्ग अपने बच्चों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। वहीं बच्चे भी आशीर्वाद पाकर बहुत खुश होते हैं और खुद को धन्य समझते हैं। पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक आशीर्वाद का अर्थ है, मंगलकारी बातें, सद्भावना अभिव्यक्ति, प्रार्थना और कल्याणकारी इच्छा। इसलिए जब कोई आपसे छोटा पैर छुए तो उसे आशीर्वाद अवश्य दें।