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800 किलोमीटर साइकिल यात्रा, महाकाल का दरबार और पर्यावरण की चिंता

उज्जैन के बाबा महाकाल के दर्शन की चाह हर किसी को होती है । बाबा का बुलावा आने पर श्रद्धालु अलग-अलग साधनों से मंदिर पहुंचते हैं और बाबा का आशीर्वाद पाकर स्वयं को धन्य महसूस करते हैं ।

ग्रेटर नोएडा की काव्यांशी का कमाल

उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा की रहने वाली 21 साल की काव्यांशी भी बाबा की भक्त है लेकिन उसने तय किया कि वह साइकिल से उज्जैन की यात्रा करेगी और पूरे रास्ते लोगों को पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश भी देगी । काव्यांशी ने ग्रेटर नोएडा के अपने घर से उज्जैन के महाकाल मंदिर तक लगभग 800 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से शुरू की और यह दूरी छह दिन में पूरी कर ली । इस दौरान वह प्रतिदिन 150 किलोमीटर साइकिल चलाती थी ।


 

पर्यावरण जागरूकता का संदेश

काव्यांशी ने 3 जून को ‘विश्व साइकिल दिवस’ यात्रा प्रारंभ की जिसका उद्देश्य वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को लेकर समाज को ठोस संदेश देने के बाद महाकाल के दर्शन करना था । वाहन प्रदूषण से निपटने के लिए साइकिल एक कारगर विकल्प हो सकती है । साइकिल पर्यावरण के लिए अत्यंत अनुकूल है, इसीलिए काव्यांशी ने साइकिल से जाना तय किया । काव्यांशी ने रास्ते में पड़ने वाले हाई-वे पर हर 10 किलोमीटर पर रुक कर करीब 50 पौधे भी लगाए ।

काव्यांशी कहती हैं कि हम लोग प्रदूषण की चिंता बिल्कुल नहीं करते हैं। जरा-जरा सी दूरी के लिए दुपहिए व चौपहिए वाहनों को प्रयोग किया जा रहा है जबकि वह काम साइकिल के जरिए आसानी से हो सकता है। लोगों की लापरवाही के कारण वातावरण में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ गयी है। अगर हम समय पर नहीं चेते तो आने वाले समय में हमें ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर चलने पर मजबूर होना पड़ेगा।

महाकाल की भक्त हैं काव्यांशी

महाकाल के दरबार पहुंच कर काव्यांशी भाव विह्वल हो गईं । काव्यांशी ने गर्भगृह में बाबा महाकाल का जल एवं दूध से अभिषेक किया और फिर नंदीहाल में बैठकर शिव की आराधना की । काव्यांशी पहले भी दो बार महाकाल के दर्शन कर चुकी हैं लेकिन साइकिल से पहलीबार पहुंचीं । काव्यांशी और उसके परिजन यात्रा में सहयोग के लिए उज्जैन जिला प्रशासन और महाकाल मंदिर प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त करते हैं ।  काव्यांशी का परिवार मूल रूप से बुलंदशहर के भटोना का रहने वाला है।

अक्षरा आर्या