मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के द्वारा ओंकारेश्वर धाम में प्रस्तावित ‘एकात्म धाम प्रोजेक्ट’ के फेज-2 में बनने वाले आचार्य शंकर म्यूजियम कॉम्प्लेक्स के टेंडर जारी कर दिए गए हैं। यह म्यूजियम कॉम्प्लेक्स बहुत खास होगा जिसमें हाई स्क्रीन थिएटर, लेजर लाइट, वाटर एंड साउंड शो ,डायोरामा के साथ-साथ माया गैलरी और देश की विविधता भरी संस्कृति और विधाओं को प्रदर्शित करते हुए एक विशाल आर्ट गैलरी भी तैयार की जाएगी।
क्या है एकात्म धाम ?
मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा भारतीय सांस्कृतिक एकता के देवदूत, अद्वैत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता और सनातन संस्कृति के पुनरुद्धारक आचार्य शंकर के जीवन और दर्शन से प्रेरित होकर आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास का गठन किया गया है। इसी न्यास द्वारा ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊँची बहुधातु प्रतिमा, शंकर संग्रहालय तथा आचार्य शंकर अन्तरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस सम्पूर्ण प्रकल्प का नाम ‘एकात्म धाम’ निश्चित किया गया है और ओंकारेश्वर को ‘एकात्मता का वैश्विक केंद्र’ (Global Center for Oneness) बनाया जाना है।
700 करोड़ की लागत से निर्माण
इस म्यूजियम को बनाने में कुल 700 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस अद्भुत म्यूजियम का निर्माण भरतपुर के वंशी पहाड़पुर के गुलाबी और लाल पत्थर से किया जाएगा । ध्यातव्य है कि इसी पत्थर से अयोध्या का राम मंदिर बनाया जा रहा है । इसके साथ ही यहां एक ‘लाइव प्रदर्शन कम शॉपिंग सेंटर’ भी बनाया जायेगा जिसे ‘अद्वैत कलाग्राम’ कहा जाएगा।
‘स्टैच्यू ऑफ वन नेस’ के लोकार्पण के दिन भूमिपूजन
जिस दिन खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ वन नेस’ का लोकार्पण होगा उसी दिन शंकर म्यूजियम कॉम्प्लेक्स का भी भूमिपूजन किया जाएगा। यह आयोजन इस साल के अगस्त महीने के आखिर में किया जायेगा और संभावना है कि इसमें हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत जी पहुंच सकते हैं ।
12 ज्योतिर्लिंगों में एक है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता पहा़ड़ी पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथे स्थान पर आता है । यहां भोलेनाथ का ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दो रूपों में विराजमान है । ओंकारेश्वर के हरे भरे पर्वतों की सुन्दरता और पवित्रता तीर्थयात्रियों के मन को मन्त्र मुग्ध कर देती है।मान्यता के अनुसार इस मंदिर में रोज को भगवान शिव और पार्वती यहां आकर चौसर-पांसे खेलते हैं। रोज रात को शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने चौसर और पांसे सीधे जमाये जाते हैं जो सुबह इधर-उधर या उल्टे पाए जाते हैं ।
अक्षरा आर्या