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साल में सिर्फ एक दिन खुलता है यह मंदिर

भारत एक प्राचीनतम सभ्यता वाला सांस्कृतिक देश हैं। यहां की भौगौलिक स्थिति, जलवायु और विविधता भरी संस्कृति को देखने के लिए विश्व के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचते हैं। इसी संस्कृति का विशेष हिस्सा हैं भारत के मंदिर । भारत के प्राचीनतम मंदिरों की बनावट, विशेषता, महत्व और इतिहास अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन इनका आकर्षण कभी कम नहीं हुआ । आज भी ऐसे अनूठे मंदिर देशी-विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच कौतूहल का विषय बनते हैं । इन्हीं मंदिरों में से एक है उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो साल में सिर्फ एक दिन खुलता है ।

नागपंचमी को ही खुलते है नागचंद्रेश्वर मंदिर

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में नाग देवता को समर्पित नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार सिर्फ नागपंचमी अर्थात श्रावण कृष्ण पंचमी के दिन ही खुलता है । मान्यता है कि इस दिन नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में मौजूद रहते हैं और लोगों को दर्शन देते हैं ।

इतिहास की बात करें तो लगभग 1050 ईस्वी में परमार राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया में 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

बेहद खास है मंदिर के गर्भगृह में रखी प्रतिमा

यह मंदिर उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर बना है । इस मंदिर के गर्भगृह में नेपाल से लाई गई 11वीं शताब्दी की मूर्ति है जिसमें गणेश जी और पार्वती के साथ भगवान शिव फन फैलाये दशमुखी सर्प के आसन में विराजमान हैं। माना जाता है कि उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है ।  इसके अलावा इस मंदिर में नाग-नागिन के 12 जोड़े हैं जिनको नागचंद्रेश्वर भगवान के साथ सिंदूर चढ़ाया जाता है।

सर्पराज तक्षक ने की थी कठिन तपस्या

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर को मनाने के लिए सर्पराज तक्षक ने एक बार घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सा‍‍‍न्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया लेकिन लेकिन वन में वास करने से पूर्व महाकाल की यही मंशा थी कि उनके एकांत में किसी भी तरह का विघ्य ना हो ।  इसी परंपरा के कारण वर्ष में सिर्फ एक बार इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और शेष समय कपाट बंद रहते है।

मान्यता है कि सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नागपंचमी के दिन इस मंदिर में पूजा जरूर करनी चाहिए।

अक्षरा आर्या