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इंदिरा एकादशी 13 सितंबर, रविवार को है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. इसे श्राद्ध एकादशी भी कहा जाता है. इंदिरा एकादशी पितृपक्ष में पड़ती है इस वजह से इसका महत्त्व काफी बढ़ जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी माना जाता है कि अगर किसी पापकर्म की वजह से यमराज ने पितृ को नरक की यातनाएं दी हैं तो इस व्रत के प्रभाव से जातक के पितर को पापकर्मों से दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है और वो मोक्ष को प्राप्त होते हैं.
यह है शुभ मुहूर्त:
इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त इस तरह से है-
इंदिरा एकादशी तिथि की शुरुआत 13 सितम्बर को सुबह 04 बजकर 13 मिनट से हो जाएगी. जिसका समापन 14 सितम्बर की सुबह 03 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा.
पारण (व्रत ख़त्म करने) का समय:
इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वाले, 14 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से लेकर शाम 03 बजकर 27 मिनट तक अपने व्रत का पारण कर सकते हैं.
पूजा विधि: इंदिरा एकादशी के तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्य देवता को अर्ध्य देना चाहिए. उसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद पितरों को याद करते हुए भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल, पुष्प, रोली और अक्षत चढ़ाकर भोग लगाना चाहिए. यह ध्यान रखें कि भगवान के भोग में तुलसी की पत्ती जरूर रखना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. पूजा करने के बाद पितरों का श्राद्ध करना चाहिए और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए.