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तिल के बिना अधूरा माना जाता है श्राद्ध, गरुड़ पुराण से लेकर पद्म पुराण तक में बताई गई ये वजह

पितृपक्ष चल रहा है और आज दशमी का श्राद्ध है। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने वालों को पितरों का आशीर्वाद मिलता है और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, तिल के बिना पितरों को प्रसन्न नहीं किया जा सकता। इसलिए श्राद्ध के दौरान तर्पण और पिंडदान किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि काले तिल के बिना क्यों अधूरा माना जाता है श्राद्ध? जानिए गरुड़ पुराण से लेकर पद्म पुराण में क्या बताई गई है वजह-

पद्म पुराण में कहा गया है जिस पानी में तिल होता है, वह अमृत से भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाता है। पुराणों में तिल को औषधि भी बताया गया है। बृहन्नारदीय पुराण में कहा गया है कि पितरकर्म में जितने तिलों का इस्तेमाल किया जाता है, उतने ही हजार सालों तक पितर स्वर्ग में रहते हैं। वायु पुराण के अनुसार, श्राद्ध में काले तिल का इस्तेमाल करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।