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कल से शुरू होगा पुरुषोत्तम मास, इस महीने किए गए धार्मिक कामों का मिलता है 10 गुना पुण्य

विश्वकर्मा पूजा के अगले ही दिन यानि 18 सितंबर से पुरुषोत्तम मास शुरू हो जाएगा। मान्यता है कि इस दौरान किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। असल में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह होता है। जिसे अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। पं गणेश मिश्र ने बताया कि 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक पुरुषोत्तम मास रहेगा।

  • भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 10 घंटे के अंतर से आता है। यह सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच के अंतर के संतुलन के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के मुताबिक हर सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है।

कुंडली दोषों का भी होता है निराकरण
अधिकमास में समस्त धार्मिक कृत्यों, चिंतन-मनन, ध्यान, योग आदि के माध्यम से साधक अपने शरीर में समाहित पांचों तत्वों में संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान किए गए प्रयासों से समस्त कुंडली दोषों का भी निराकरण हो जाता है।

विष्णु मंत्रों का जाप लाभकारी
पुराणों के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवी भागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिकमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इस पूरे समय में विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि अधिक मास में विष्णु मंत्र का जाप करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं।