अधिक मास को हिन्दू धर्म में बहुत ही खास माना गया है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि भारत में खगोलीय गणना के मुताबिक हर तीसरे साल एक अधिक मास होता है। इसे अधिमास, मलमास या पुरुषोत्तममास भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर में हर महीने के स्वामी देवता बताए गए हैं। लेकिन इस तेरहवें महीने का स्वामी कोई नहीं है। इसलिए इस महीने में हर तरह के मांगलिक कामों को करने की मनाही है। देवी भागवत पुराण का कहना है कि इस महीने में तीर्थ स्नान का बहुत ही महत्व होता है। साथ ही मलमास में किए गए सभी शुभ कामों का कई गुना फल मिलता है। इस महीने में भागवत कथा सुनने का भी बहुत महत्व है। इस महीने में सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। योग और ध्यान करना चाहिए। स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ करनी चाहिए। ऐसा करने से पाप खत्म हो जाते हैं और किए गए पुण्यों का भी कई गुना फल मिलता है।
मंदिर और व्रत-उपवास के बिना भी कर सकते हैं विशेष पूजा
पं. मिश्र बताते हैं कि अधिक मास के दौरान अगर किसी खास वजह से व्रत या उपवास नहीं कर पा रहे और मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर ही भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की मानस पूजा कर सकते हैं। विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक भगवान का ध्यान कर के मन ही मन पूजा की जा सकती है। इसे मानसिक पूजा कहा जाता है। ऐसा करने से भी उतना ही फल मिलता है जितना अन्य तरह से पूजा करने पर मिलता है।