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हिंदू धर्म में ‘ॐ’ का स्थान सर्वोपरि है। हिंदू धर्म में सभी मन्त्रों का उच्चारण ऊँ से ही शुरु होता है। मान्यता है कि ‘ॐ’ में इतनी शक्ति है कि केवल इसी के जाप से ईश्वर को पाया जा सकता है। कहते हैं ‘ॐ’ में ही पूरा ब्रह्मांड का ज्ञान समाया हुआ है।
‘ॐ’ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है. इसके उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है।
‘ॐ’ का उच्चारण करते वक्त कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए. हम आपको बता करते हैं कि ‘ॐ’ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
- ‘ॐ’ का उच्चारण प्रातः उठकर पवित्र होकर करना चाहिए
- ‘ॐ’ का उच्चारण हमेशा स्वच्छ और खुले वातावरण में ही करना चाहिए
- ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर करना चाहिए
- ॐ का उच्चारण जोर से बोलकर और धीरे-धीरे बोल कर भी किया जा सकता है. ‘ॐ’ जप माला से भी कर सकते हैं.
- ‘ॐ’ का उच्चारण 5,7,11 या 21 बार करना चाहिए.