क्या आपने कभी किसी किन्नर का विवाह देखा है? किन्नर अरावन देवता से शादी करते हैं लेकिन शादी के अगले दिन ही अरावन देवता की मृत्यु के साथ ही उनकी शादी भी समाप्त हो जाती है. किन्नर अरावन देव से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अगले जन्म में सामान्य इंसान के रूप में जन्म दें. किन्नर समुदाय के अपने नियम और कानून होते हैं. किन्नर अरावन देवता की पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं. अरावन देवता का संबंध दक्षिण भारत के तमिलनाडु से है. अरावन देवता पर अगाध भक्ति के कारण ही किन्नरों को दक्षिण भारत में अरावनी कहकर भी पुकारा जाता है. किन्नरों के इस रीति रिवाज का सम्बन्ध महाभारत काल की कथा से है. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में...
किन्नरों के विवाह की कथा:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, तमिलनाडु के अरावन देवता अर्जुन के पुत्र हैं. एक बार अर्जुन ने द्रोपदी से शादी की एक शर्त का पालन नहीं किया. जिस कारण अर्जुन को इंद्रप्रस्थ से निष्कासित कर दिया गया और एक साल की तीर्थयात्रा जाने का आदेश दिया जाता है. इस यात्रा के दौरान अर्जुन उत्तर पूर्व भारत में जाते हैं.
जहां की उनकी मुलाक़ात एक विधवा नाग राजकुमारी उलूपी से होती है. अर्जुन इस कन्या से विवाह कर लेते हैं. विवाह के बाद उलूपी एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है. अरावन के जन्म के बाद अर्जुन पत्नी और पुत्र को छोड़कर आगे की यात्रा आरंभ करते हैं. युवा होने पर अरावन नागलोक छोड़कर अपने पिता अर्जुन के पास आते हैं. लेकिन तब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध चल रहा होता है इसलिए अर्जुन अरावन को युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देते हैं.
अरावन ने इस शर्त पर दी अपनी बलि:
युद्ध में जीत के लिए पांडवो को मां काली के चरणों में एक नर बलि देनी होती है जिसके लिए एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है. जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो अरावन खुद को अपनी इच्छा से अपनी बलि देने के लिए कहते हैं. लेकिन अरावन एक शर्त रखते हैं कि वे अविवाहित नहीं मरना चाहते हैं. इस शर्त के कारण एक नया संकट आ जाता है क्योकि कोई भी राजा एक दिन अपनी पुत्री का विवाह कैसे कर सकता है. कोई राजा इसके लिए तैयार नहीं होता है.
जब कोई रास्ता नहीं बचता है तो भगवान श्री कृष्ण स्वंय को मोहिनी रूप में बदलकर अरावन से शादी करते हैं. अगले दिन अरावन स्वंय अपने हाथों से अपना शीश मां काली के चरणो में चढ़ा दिया. अरावन की मृत्यु के बाद श्री कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक अरावन की मृत्यु का विलाप भी करते रहे.
कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर, जो स्त्री रूप में पुरुष माने जाते हैं, भी अरावन से एक रात की शादी रचाते हैं और उन्हें अपना आराध्य देव मानकर उपासना करते हैं. तमिलनाडु के कूवगम में अरावन का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में अरावन देवता के शीश की पूजा की जाती है.