छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से करीब 25 किमी की दूरी पर स्थित है रतनपुर गांव। इस गांव में इकबीरा पहाड़ी पर देवी लक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है। धन वैभव, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मां महालक्ष्मी का ये प्राचीन मंदिर करीब 800 साल से ज्यादा पुराना माना जाता है। ये मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लखनी देवी शब्द लक्ष्मी का ही अपभ्रंश है, जो साधारण बोलचाल की भाषा में लखनी हो गया है।
मार्गशीर्ष महीने के हर गुरुवार को देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। 31 दिसंबर यानी आज मार्गशीर्ष महीने का आखिरी गुरुवार है। इसलिए इस मौके पर लखनी देवी मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन भी किया जाता है।
800 साल से ज्यादा पुराना मंदिर
इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के प्रधानमंत्री गंगाधर ने 1179 में कराया था। उस समय इस मंदिर में जिस देवी की प्रतिमा स्थापित की गई उन्हें इकबीरा और स्तंभिनी देवी कहा जाता था।
मंदिर का आकार पुष्पक विमान जैसा
प्राचीन मान्यता के मुताबिक, रत्नदेव तृतीय के साल 1178 में राज्यारोहण करते ही प्रजा अकाल और महामारी से परेशान हो रही थी और राजकोष भी खाली हो चुका था। ऐसे हालात में राजा के विद्वान मंत्री पंडित गंगाधर ने लक्ष्मी देवी मंदिर बनवाया। मंदिर के बनते ही अकाल और महामारी राज्य से खत्म हो गई और सुख, समृद्धि, खुशहाली फिर से लौट आई। इस मंदिर की आकृति शास्त्रों में बताए गए पुष्पक विमान की जैसी है और इसके अंदर श्रीयंत्र बना हुआ है।