Sanskar
Related News

भगवान कृष्ण ने मानव को दी अहंकार से बचने की सलाह

 
अर्जुन और कर्ण के बीच युद्ध हो रहा था। दोनों ही योद्धा पूरी शक्ति से लड़ रहे थे। अर्जुन के बाण के कर्ण के रथ पर लगते तो उसका रथा 20-25 हाथ पीछे खिसक जाता था। जबकि कर्ण के प्रहारों से अर्जुन का रथ थोड़ा सा ही पीछे खिसकता था। जब कर्ण का बाण अर्जुन के रथ पर लगता तो श्रीकृष्ण उसकी प्रशंसा कर रहे थे, लेकिन अर्जुन के प्रहारों पर वे चुप रहते।
श्रीकृष्ण के मुख से कर्ण की प्रशंसा सुनकर अर्जुन से रहा नहीं गया। उसने श्रीकृष्ण से पूछा कि हे केशव जब मेरे बाण कर्ण के रथ पर लगते हैं तो उसका रथ बहुत पीछे खिसक जाता है, जबिक उसके बाणों से मेरा रथा थोड़ा सा ही खिसकता है। मेरे बाणों की अपेक्षा कर्ण के बाण बहुत कमजोर हैं, फिर भी आप उसकी प्रशंसा क्यों कर रहे हैं?
श्रीकृष्ण ने जवाब दिया कि तुम्हारे रथ पर मैं स्वयं बैठा हूं। ऊपर ध्वजा पर हनुमानजी विराजित हैं, रथ के पहियों को स्वयं शेषनाग ने पकड़ रखा है। इन सबके बावजूद कर्ण के प्रहार से ये रथ थोड़ा सा भी पीछे खिसक रहा है तो इसका मतलब यही है कि उसके बाण कमजोर नहीं हैं। तुम्हारे साथ मैं स्वयं हूं और कर्ण के साथ सिर्फ उसका पराक्रम है। फिर भी वह तुम्हें कड़ी टक्कर दे रहा है। इसका मतलब ये है कि कर्ण बिल्कुल भी कमजोर नहीं है। ये बातें सुनकर अर्जुन का घमंड टूट गया।