भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के बारे में हम सब ने कई कथाएं सुनी हैं। कलियुग के देवता के रूप में पूजे जाने वाले हनुमान जी अपने भक्तों के सभी कष्टों का नाश करते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं। हम सब हनुमान जी को कई नामों से जानते हैं, जैसे हनुमान जी, पवन पुत्र, बजरंगबली और संकटमोचन आदि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्रावतार हनुमान जी का नाम बजरंगबली कैसे पड़ा? आइए जानतें है कि कैसे हनुमान जी का नाम बजरंगबली पड़ा। इससे जुड़ी पौराणिक कथा इस प्रकार है... पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रामायण में हनुमान जी वानर के मुंह वाले अत्यंत बलशाली पुरुष हैं। जिनका शरीर वज्र के समान है, कंधे पर जनेऊ धारण करते हैं, उनके सिर पर स्वर्ण मुकुट और हाथों में गदा है। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि इस पृथ्वी पर जिन सात लोगों को अमृत्व प्राप्त है, उनमें कलियुग के देवता हनुमान जी का नाम भी शामिल है। महाबली हनुमान जी को बजरंगबली कहे जाने के पीछे जो उल्लेख मिलता है वह इस प्रकार है: एक बार हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते देखा तो उनसे पूछा कि, "आप सिंदूर क्यों लगाती हैं?" हनुमान जी की यह बात सुनकर माता सीता ने बताया कि वे अपने पति श्री राम की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिंदूर लगाती हैं। उन्होंने हनुमान जी को बताया कि धर्म के अनुसार जो सुहागन महिला अपनी मांग में सिंदूर लगाती है, उसके पति की उम्र लम्बी और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। माता सीता की बात सुनकर बजरंगबली को ख़्याल आया कि जब मांग में सिन्दूर लगाने से भगवान श्री राम को इतना लाभ मिलता है, तो फिर पूरे शरीर में सिन्दूर लगाने से भगवान श्री राम अमर हो जाएंगे। इसलिए वे “जय श्री राम” बोलते हुए अपने पूरे शरीर में सिन्दूर लगा लेते हैं। जब श्री राम इस अवस्था में हनुमान जी को देखते हैं तो वे उनसे इसका कारण पूछते हैं। तब हनुमान जी माता सीता की सारी बात भगवान श्री राम को बता देते हैं। यह बात जानकर श्री राम, हनुमान जी की भक्ति से बहुत प्रसन्न होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि उन्हें अब से बजरंगबली के नाम से जाना जाएगा। बजरंगबली में बजरंग का अर्थ केसरी रंग से है और बली का अर्थ शक्तिशाली से है। इस प्रकार उन्हें बजरंगबली के नाम से जाना जाता है।
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