Sanskar
Related News

अद्भुत है शिव शक्ति रेखा, केदारनाथ से जाती है रामेश्वरम

भारत जीवंत सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं व मूल्यों वाला देश है। जैसे, यही ले लीजिए कि केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीध में बने हैं 7 शिव मंदिर । है न आश्चर्य की बात ? इससे भी खास बात ये है कि इन सात मंदिरों में न केवल केदारनाथ और रामेश्वरम जैसे दो ज्योतिर्लिंग शामिल हैं, बल्कि पंचतत्वों (जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश) को दर्शाने वाले पांच प्रमुख शिव मंदिर भी आते हैं। यह संयोजन आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लगभग 2,382 किलोमीटर लंबी यह रेखा भारत की सांस्कृतिक-धार्मिक गहराई को भी दर्शाती है। यह रेखा अदृश्य धागे की तरह भगवान शिव की चेतना को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ती है । ये सभी मंदिर लगभग 79 डिग्री देशांतर पर स्थित हैं, जो इस संयोग को और भी रहस्यमयी बना देता है।

 

शिव शक्ति रेखा की शुरुआत उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ धाम से होती है जो 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है । दूसरा मंदिर है आंध्रप्रदेश का श्रीकालाहस्ती मंदिर, जो चित्तूर जिले में स्थित और वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। यहां स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू और जीवित लिंग माना जाता है। तीसरा, एकाम्बेश्वरनाथ मंदिर (कांचीपुरम, तमिलनाडु) है जो पृथ्वी तत्व का प्रतीक है । माना जाता है कि माता पार्वती ने यहां मिट्टी का शिवलिंग बनाकर तप किया था। चौथा, अरुणाचलेश्वर मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुवन्नामलाई में है । अग्नि तत्व का प्रतीक यह मंदिर अरुणाचल पर्वत के तल पर स्थित है। इसी प्रकार पांचवां मंदिर है जम्बुकेश्वर जो तमिलनाडु के ही तिरुचिरापल्ली में अवस्थित है । जल तत्व से जुड़ा हुआ मंदिर लगभग 1,800 वर्ष पुराना माना जाता है। यहां शिवजी की पूजा एक जल-स्रोत के समीप की जाती है, जो साल भर जल से भरा रहता है। छठवां,  थिल्लई नटराज मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में है । यह मंदिर आकाश तत्व का प्रतीक है और भगवान शिव को नटराज रूप में समर्पित है। यहां भगवान की नृत्य मुद्राओं को 108 भंगिमाओं में दर्शाया गया है। सातवां है रामेश्वर (तमिलनाडु) जो भगवान राम से जुड़ा एक पवित्र स्थल है और 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। इसे रामलिंगेश्वर भी कहा जाता है और यह शिव शक्ति रेखा का अंतिम मंदिर है।