महाशिवरात्रि का पावन पर्व 1 मार्च 2022, दिन मंगलवार को है। जिसका शिव भक्तों को बेसब्री से इंतज़ार है। महाशिवरात्रि को हम देवों के देव महादेव, भगवान शिव की आराधना करते हैं। भगवान शिव के जन्म या उत्पत्ति का रहस्य क्या है? कहा जाता है कि विष्णु पुराण और शिव महापुराण में भगवान शिव के जन्म की अलग-अलग कथाएं हैं। आइए जानते हैं भगवान शिव की जन्म कथा और उससे जुड़े रहस्य के बारे में... भस्म रमैया भगवान शिव के जन्म की कथा शिव महापुराण के अनुसार, भगवान सदाशिव परमब्रह्म स्वरूप में विद्यमान हैं और पराशक्ति अंबिका या आदिशक्ति माता से ही पूर्ण होते हैं। भगवान सदाशिव से ही माता पराशक्ति प्रकट हुई हैं, जिनको हम माँ दुर्गा भी कहते हैं। उनके अंदर सृष्टि की सभी शक्तियां विद्यमान हैं। भगवान सदाशिव और पराशक्ति को दूसरे पुरुष की रचना का विचार हुआ। तब उन दोनों ने अपने बाएं भाग से भगवान विष्णु को उत्पन्न किया और वैसे ही दाएं भाग से ब्रह्मा जी को उत्पन्न करके उन्हें भगवान विष्णु के नाभि कमल में डाल दिया। इस प्रकार से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नाभि कमल से हुई। भगवान विष्णु को सृष्टि के पालन और ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना की ज़िम्मेदारी मिली, लेकिन वे दोनों स्वयं को श्रेष्ठ बताने के चक्कर में लड़ पड़े। तब एक दिव्य ज्योतिपुंज प्रकट हुई, जिसमें विशाल शिवलिगं था। उस समय भविष्यवाणी हुई कि, “तुम दोनों लड़ रहे हो? तुम दोनों की रचना मुझ से ही हुई है।” कुछ लोग मानते हैं कि यहीं से भगवान शिव की उत्पत्ति हुई। विष्णु पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी, सृष्टि की रचना पर बात कर रहे थे, तब भगवान शिव प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने शिव जी को पहचाना नहीं, तब विष्णु जी ने उनको शिव जी के बारे में बताया। ब्रह्मा जी ने शिव जी से क्षमा मांगी और पुत्र स्वरुप में भगवान शिव को प्राप्त करने का वरदान मांगा। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरु की तो उनको एक बालक की ज़रुरत पड़ी। तब उनको शिव जी का वरदान याद आया। फिर उन्होंने तपस्या करके भगवान शिव को पुत्र रुप में प्राप्त किया। उनका नाम रुद्र रखा गया क्योंकि तब शिव जी रो रहे थे। इनके अलावा भी शिव जन्म से जुड़ी हुई कई कथाएं हैं। जो अलग-अलग तरह से बताई गई हैं। भगवान सदाशिव से ही सबका जन्म हुआ है।
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