तू ही जननी, तू ही देवी, तू ही तो महाकाली है, तू ही दुर्गा, तू ही भवानी, तू जग कल्याणी है। शारदीय नवरात्रों की शुरुआत होने वाली है और हर ओर माँ के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हैं। माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना पूर्ण निष्ठा से माँ के भक्त करेंगे। पर अगर बात शक्तिपीठों की करें तो देवी सती ने अपने पिता दक्ष के खिलाफ जाकर शिव से विवाह किया था। विवाह के बाद राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया। इसमें उन्होंने भगवान शिव को अपमानित करने के लिए भगवान शिव के अलावा सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। इसके बावजूद देवी सती यज्ञ में पहुंचती हैं। जहां उनका और शिव का अपमान किया जाता है। उसके बाद देवी सती उसी अग्निकुंड में कूद जाती हैं और अपने प्राण त्याग देती हैं। इससे शिव दुखी और क्रोधित होते हैं और वीरभद्र को बनाकर राजा दक्ष का वध करवाते है। ब्रह्मांड पर मंडरा रहे विनाश के खतरे को देखकर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर को टुकड़ों में काट दिया जाता है। जो पृथ्वी के विभिन्न भागों में जाकर गिरते हैं। जहां-जहाँ सती के शरीर के भाग गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठ की स्थापना हुई है। इनमें से ही मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है हिंगलाज माता का शक्ति पीठ है । माता सती का इस स्थान पर ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था इसलिए यहां हिंगलाज माता मंदिर की स्थापना की गई थी।
पाकिस्तान के लासबेला जिले में स्थित हिंगलाज माता को बहुत शक्तिशाली देवी कहा जाता है। जो अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए भी जानी जाती है ऐसा कहा जाता है। कि इस मंदिर में सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है। वह मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान में लासबेला जिले के मकरान तट पर स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह हिंदू धर्म के शक्तिवाद के 51 शक्तिपीठों में से एक है। और पाकिस्तान में स्थापित दो शक्तिपीठों में से एक है। पाकिस्तान के मुस्लिम राष्ट्र में स्थित हिंगलाज माता मंदिर ने कई वर्षों तक काफी प्रसिद्धि प्राप्त की है। हिंगलाज माता का यह मंदिर हिंगोल नदी के किनारे एक पहाड़ी गुफा में स्थित है। इस मंदिर को हिंगुला देवी और नानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह वर्तमान पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदायों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है। हिंगलाज यात्रा पाकिस्तान का सबसे बड़ा हिंदू तीर्थस्थल है। जहां हर साल भारत और पाकिस्तान से हजारों की संख्या में श्रद्धालु हिंगलाज माता के दर्शन के लिए जाते हैं।