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मां जगत की शक्ति हैं, जीवन की युक्ति हैं, वही जगत माता है, आदिशक्ति हैं। और इन्हीं देवी की उपासना का पर्व है नवरात्रि। नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन विशेष सवारी या वाहन में होता है। मां की सवारी से ही आने वाले समय का अनुमान लगाया जाता है। वैसे तो माता रानी का वाहन सिंह है इसीलिए उन्हें शेरावाली भी कहते हैं।
नवरात्रि में माता रानी का आगमन और प्रस्थान विशेष वाहन पर होता है। इसी वाहन के आधार पर देश-दुनिया की स्थिति, फसल, प्रकृति और मानव जीवन में पड़ने वाले प्रभावों का अनुमान लगाया जाता है। इसलिए नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मां दुर्गा के आगमन या विदाई का वाहन क्या होगा, इसे दिन के अनुसार तय किया जाता है। इसलिए हर बार माता रानी की सवारी अलग-अलग होती है। जैसे - नवरात्रि की शुरुआत रविवार के दिन से हो रही हो तो माता का वाहन हाथी रहेगा। मान्यता है कि हाथी पर माता का आगमन संकेत समृद्धि और संपन्नता का सूचक है । इसका आशय है कि अच्छी वर्षा होगी, जिससे खेती अच्छी होगी और लोगों का कल्याण होगा।
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे ।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता ॥
इस श्लोक के अनुसार- सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। इसके अनुसार, नवरात्रि का आरंभ रविवार या सोमवार से हो तो मां हाथी पर आती हैं। यह अत्यंत शुभ माना जाता है । मंगलवार और शनिवार से हो तो मां अश्व यानी घोड़े पर आती है। जबकि बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां दुर्गा का आगमन नाव पर होता है, जो कि मंगलकारी होता है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर माता रानी पालकी पर आती हैं। इसे अच्छा संकेत नहीं माना जाता है।