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भोपाल में 500 साल पहले जहां गुरुनानक देव जी के चरण पड़े थे, वहां आज भी मौजूद है उनके चरण निशान

आज गुरु नानक देवजी का प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। सिखों के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी विश्व के अनेक भागों में मानवता का प्रचार करते हुए लगभग 500 साल पहले भोपाल आए थे।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, जिस स्थान पर वो रुके थे, वहां उन्होंने एक कुष्ठ रोगी का कोढ़ भी ठीक किया था। जिस स्थान पर गुरुनानक जी बैठे थे, वहां आज गुरुद्वारा टेकरी साहिब बना। जहां आज भी गुरुनानक देव जी के पैरों के निशान मौजूद हैं। जहां दुनियाभर से सिख और दूसरे समुदाय के लोग आकर माथा टेकते हैं। इसलिए आज गुरुनानक जयंती पर सर्वाधिक आस्था व आकर्षण का केंद्र ईदगाह हिल्स स्थित टेकरी साहिब गुरुद्वारा रहेगा।

ये कथा है प्रचलित

ईदगाह हिल्स स्थित टेकरी साहिब गुरुद्वारे के सेवादार बाबू सिंह ने बताया कि गुरुनानक देव भारत यात्रा के दौरान लगभग 500 साल पहले भोपाल आए थे। तब वे यहां ईदगाह टेकरी पर कुछ समय रुके थे। यहां एक कुटिया में गणपतलाल नाम का व्यक्ति रहता था, जिसे कोढ़ था। पीर जलालउद्दीन के कहने पर वह उस समय यहां आए गुरुनानक देव से मिला और उनके चरण पकड़ लिए।

जिस कुंड के पानी से नानकजी ने कोढ़ी का कोढ़ ठीक किया, वह अब भी मौजूद

गुरुनानक देवजी ने अपने साथियों से पानी लाने को कहा था तो वे पानी खोजने निकल गए, लेकिन आसपास पानी नहीं मिला तो उन्होंने फिर से भेजा। इस बार वो पहाड़ी से नीचे उतरे तो उन्हें वहां एक जल स्रोत फूटता दिखाई दिया। इस जल को उन्होंने गणपत के शरीर पर छिड़का तो वह बेहोश हो गया। जब उसकी आंख खुली तो नानकजी वहां नहीं थे, लेकिन वहां उनके चरण बने दिखाई दिए और गणपतलाल का कोढ़ भी दूर हो चुका था। तेजकुलपाल सिंह कहते हैं कि इसका उल्लेख दिल्ली व अमृतसर के विद्वानों व इतिहासकारों ने भी कई जगह किया है।