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माघ मेले में इस बार 30 दिन ही जप-तप कर पाएंगे कल्पवासी, तीन बार किया जाएगा एंटीजन टेस्ट

त्रेतायुग में भी संगम नगरी में माघ मेला और कल्पवास की परंपरा आ रही है लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने कल्पवास पर भी असर डाला है। हर साल कल्पवास मकर संक्रांति पर्व से शुरू हो जाता था लेकिन इस साल कल्पवास 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा, जो माघी पूर्णिमा यानी 27 फरवरी तक चलेगा। सरकार ने तय किया है कि 30 दिन के कल्पवास अवधि के दौरान श्रद्धालुओं का 3 बार एंटीजन टेस्ट किया जाएगा। माघ मेले के बारे में कहा भी जाता है कि
‘‘माघ मकरगत रबि जब होई, तीरथपति आब सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहि सकल त्रिबेनी’’।

कल्पवास क्या होता है
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर संकल्प के अनुसार निश्चित अवधि तक प्रवास करना कल्पवास कहलाता है। यह एक रात्रि या एक माह से अधिक समय का भी होता है। मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले एक मास के कल्पवास से एक कल्प जो ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है उतना पुण्य मिलता है। इस दौरान कल्पवासी के द्वारा सत्यवचन, अहिंसा, इंद्रियों पर नियंत्रण, ब्रह्मचर्य, तीन बार पवित्र नदी में स्नान, पितरों का पिंडदान आदि नियमों का पालन करना होता है। कल्पवासी ज्यादातर अरण्य संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। इस दौरान घर आने की छूट नहीं होती है। पुरोहितों द्वारा कल्पवासियों को ठहराने का काम किया जा रहा है।