वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां श्रद्धालु अपने आप ही खिंचे चले आते हैं। खास मौकों पर तो यहां मंदिर में खड़े होने तक की जगह नहीं मिलती है। इस मंदिर की ही तर्ज पर है रंगबाड़ी में भगवान बांके बिहारी का मंदिर। इस मंदिर में वृंदावन की तर्ज पर ही भगवान के पूजन, श्रृृंगार, विश्राम, भोजन, मंगला आरती और संध्या आरती आदि के आयोजन होते हैं। कोटा के इस मंदिर में बांके बिहारी की प्रतिमा भी वृंदावन के जैसी ही है। बड़ी बात तो यह है कि यहां गोवर्धन के समान ही तलवंडी से मुख्यमार्ग से होते हुए हर पूर्णिमा को परिक्रमा होती है।
रंगबाड़ी बालाजी मंदिर रोड पर 11 साल पहले 15 फरवरी को भगवान बांकेबिहारी की प्रतिष्ठापना हुई थी। इस मंदिर में खास बात है यह है कि 11 साल से यहां अनवरत अखंड ज्योत प्रज्वलित है, जो वृंदावन से लाई गई है। हर एकादशी पर विशेष कथा का आयोजन होता है।
बांकेबिहारी का मंदिर कोटा के अद्भुत मंदिरों में से एक है। जहां पर बहुत कम समय में लोगों को भक्तिभाव उभर कर सामने आया है। यहां प्रारंभ से ही प्राण प्रतिष्ठा के साथ वृंदावन धाम की दिव्य अखंड दीपक प्रज्वलित है। 30 मार्च 2010 को भक्तों द्वारा यहां पर प्रारंभ की गई संकीर्तन परिक्रमा 11 साल से निरंतर जारी है। हालांकि यह कोरोना में यह बंद रही। परिक्रमा में पूरे क्षेत्र से हजारों भक्त शामिल होते हैं। ऐसा लगता है जैसे गिर्राजधरण की परिक्रमा का आनंद प्राप्त हो रहा है।