कल बसंत पंचमी है। इस दिन विद्यादायिनी मां सरस्वती की पूजा होती है। इस दिन अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि बसंत पंचमी के नाम से जानी जाती है। विधि पूर्वक पूजा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं।
सुबह 3.38 बजे शुरू होगी पंचमी तिथि
पंचमी तिथि 16 फरवरी की सुबह 3.38 बजे लगेगी। यह अगले दिन 17 फरवरी की सुबह 5.47 बजे समाप्त होगी। ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा प्रातः से मध्याह्न तक करने का विधान है। इस दिन चंद्रमा मीन राशि पर रहेंगे एवं रेवती नक्षत्र से पंचमी तिथि व्याप्त रहेगी। 16 फरवरी को अमृत सिद्धि योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।
पूजन का समय
पूजन का समय सुबह 6 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। सुबह 6 बजकर 55 मिनट से सुबह 8 बजकर 20 मिनट तक स्थिर लग्न पूजा के लिए विशेष प्रशस्त रहेगी। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त एवं वृष लग्न 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 20 बजे तक पूजा के लिए विशेष प्रशस्त होगी।
ऐसे करें पूजा
बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हो सके तो पीले रंग के वस्त्र पहनें। एक चैकी पर पीला आसन बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
मां सरस्वती को तिलक करें और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं और पीले पुष्पों से मां सरस्वती का पूजन करें। मां सरस्वती को मिष्ठान का भोग लगाएं। पढ़ाई से संबंधित सामग्री जैसे कापी, किताब आदि को भी मां सरस्वती के समक्ष रखकर पूजा करें। पूजा संपन्न होने के बाद मां सरस्वती की स्तुति करें।