हरिद्वार में कुंभ की मंगल बेला में महाशिवरात्रि से शैव मत के नागा संन्यासियों और 25 मार्च से वैष्णव मत से जुड़े खालसों का आगमन होगा। 13 अखाड़ों के कुल चार शाही स्नान होंगे। प्रत्येक स्नान पर छह समय प्रदान होंगे।
11 मार्च शिवरात्रि के पहले शाही स्नान पर संन्यासियों के सात और 27 अप्रैल वैशाख पूर्णिमा पर बैरागी अणियों के तीन अखाड़े ही स्नान करते हैं। 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या के दूसरे और 14 अप्रैल मेष संक्रांति के मुख्य शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों के स्नान होंगे।
पहला शाही स्नान 11 मार्च को केवल जूना, अग्नि, आह्वान, निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी और अटल सात संन्यासी अखाड़ों के नागाओं को ही करना है। अत: वे नगर मार्ग से ही शाही जुलूस निकालकर हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पहुंचेंगे। 11 मार्च से पहले ही इन सातों अखाड़ों के नगर प्रवेश, धर्मध्वजा और देवता पूजन संपन्न हो जाएंगे।
परंपराओं के अनुसार जूना, अग्नि और आह्वान, निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी और अटल अखाड़े एक साथ स्नान करते हैं। यद्यपि सभी अखाड़ों की धर्मध्वजा और देवपूजन अलग-अलग होगा। चूंकि पहला स्नान केवल नागाओं का है, अत: संन्यासियों की चहल पहल कुछ दिन बाद शुरू हो जाएगी।
बैरागी अखाड़ों के आगमन पर सवाल है। वे अभी वृंदावन में एकत्रित होकर वहां स्नान करेंगे। वसंत पंचमी 16 फरवरी से उनका स्नान शुरू हो जाएगा। तीनों बैरागी अणियों दिगंबर, निर्मोही और निर्वाणी के हजारों बाबाओं, खालसों का आगमन 25 मार्च हरिद्वार कुंभनगरी में शुरू हो जाएगा।
बड़ा और नया उदासीन व निर्मल अखाड़ों के साधु संत अप्रैल में पहुंचेंगे। अलबत्ता इन तीनों अखाड़ों के भवन यहां संन्यासी अखाड़ों की तरह मौजूद हैं। बैरागी अखाड़ों के डेरे वैष्णवों के लिए आरक्षित बैरागी द्वीप पर लगेंगे।