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हर-हर महादेव के जयघोष के साथ हरिद्वार में कुंभ के महापर्व का आगाज हो गया है। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़े की पेशवाई पांडेवाला ज्वालापुर से गुरुवार को निकली और मायापुर स्थित जूना अखाड़े की छावनी में प्रवेश की। सूर्य की स्वर्ण किरणों के साथ एकसार हो जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का आभामंडल कुंभनगरी में धर्म-अध्यात्म की रोशनी बिखेरें। आपको बता दें तीनों अखाड़ों में बृहस्पतिवार को कुंभ का विधिवत शुभारंभ हो गया। साधु-संतों का लाव-लश्कर शाही अंदाज में हाथी, घोड़ों, ऊंट, बग्घियों और आदिकालीन संस्कृति से सुसज्जित रथों पर सवार होकर निकला।
बृहस्पतिवार शाम करीब चार बजे ज्वालापुर के पांडेवाला स्थित अस्थायी छावनी से तीनों अखाड़ों की पेशवाई 20 फीट ऊंची धर्म ध्वजा, हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी और बैंडबाजों के साथ शुरू हुई। पेशवाई का नेतृत्व श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने किया। इसके बाद श्री पंच अग्नि अखाड़ा और फिर किन्नर अखाड़े की शोभायात्रा निकली। चार संत भगवान दत्तात्रेय की चांदी की पालकी कंधे पर रखकर पेशवाई के सबसे आगे चल रहे थे। वहीं, पालकी की सुरक्षा में पीछे ध्वज के साथ नागा साधुओं की टोलियां शामिल थीं। धूनी की राख में सराबोर नागा साधु करतब दिखा रहे थे।
इसके बाद कुंभ कलश रखे सोने के सिंहासन पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि विराजमान थे। अखाड़े के महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर चांदी के हौदे में सवार थे। रत्न, स्वर्ण और चांदी से जड़ित छतरी हौदों की शोभा बढ़ा रही थी।
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के ठीक पीछे श्री पंच अग्नि अखाड़े का काफिला था। अखाड़े की आराध्य मां गायत्री की चांदी की पालकी फूलों से सजी थी। पेशवाई के सबसे आगे पंच अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ स्वामी कृष्णानंद रथ पर सवार थे। सबसे अंत में सफेद ध्वज के साथ किन्नर अखाड़े का काफिला चल रहा था। अखाड़े की पेशवाई की अगुवाई सबसे आगे चल रहीं आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने की।
शोभायात्रा लोगों ने भव्य स्वागत किया। लोगों ने छतों से फूल बरसाए। यात्रा नील खुदाना, ज्वालापुर कोतवाली, जामा मस्जिद बाजार, रेल चौकी, आर्या नगर चौक से होकर चंद्राचार्य चौक पहुंची। यहां से वाल्मीकि चौक, माया देवी प्रांगण होकर ललतारौ पुल स्थित छावनी पहुंची। सभी जगह दर्शकों ने शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया। यात्रा को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर हाथ जोड़े श्रद्धालु खड़े र