आज है जानकी नवमी है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का व्रत रखा जाता है. सुहागिनें यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन को सीता नवमी और जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है.
सीता नवमी का शुभ मुहूर्त
जानकी नवमी के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान राम और माता-सीता की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस बार सीता नवमी का शुभ मुहूर्त 20 मई को 12 बजकर, 25 मिनट पर प्रारंभ होगा और 21 मई को 11 बजकर, 10 मिनट पर समाप्त होगा. इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता का पूजन एक साथ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है.
इस विधि से करें पूजा
नवमी से एक दिन पहले अष्टमी को स्नान करने के बाद जमीन को लीपने और साफ करने के बाद आम के पत्तों और फूल से सुन्दर मंडप बनाएं. मंडप के बीच में एक चौकी लगाकर इस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. अब इसे फूलों से सजाएं. इसके बाद चौकी पर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें. सीता नवमी के दिन सुबह स्नान के बाद पूजाघर में बैठकर पूजा से पहले श्री राम और माता सीता के नाम का संकल्प पढ़ें. इसके बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्ज्वलित करें और भगवान राम, माता सीता की आरती करें. इसके बाद भगवान राम और माता सीता के नाम का जाप करें और ध्यान लगाएं. इस दिन विधिवत पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
सीता नवमी का महत्व और जानकी नवमी पर पूजा से लाभ
- मान्यता है कि जो भी भक्त जानकी नवमी के दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
- जिन लोगों के जीवन में सुख और शांति की कमी होती है, उन्हें भी जानकी नवमी के दिन व्रत रखने के लिए कहा जाता है.
- माता सीता अपने त्याग और समर्पण के लिए पूजनीय हैं. सीता नवमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इससे व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.