आज है सोम प्रदोष व्रत. प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. सोमवार के दिन पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत का महत्व काफी बढ़ गया है. प्रदोष व्रत का दिन के अनुसार, अलग-अलग महत्व माना गया है. सोम प्रदोष व्रत के दिन भक्त भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश भगवान और कार्तिकेय जी की पूजा अर्चना करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रदेव ने सबसे पहले भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा था.
सोम प्रदोष व्रत कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक विधवा ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रहती थी. वह भीख मांगकर अपना एवं अपने बेटे का पेट भरती थी. एक दिन भीख मांगकर लौटते समय रास्ते में कराहता हुआ एक घायल बालक मिला. ब्राह्मणी ने दयावश उसे अपने घर ले आई. वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था. जो शत्रु सैनिकों द्वारा घायल कर उसके पिता को बंदी बना लिया गया था. तथा उसके राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था.
एक दिन अंशुमति नामक गन्धर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो उस पर मोहित हो गई. कुछ दिनों बाद भगवान शिव ने अंशुमति के मां–बाप को स्वप्न में आदेश दिया कि वे अंशुमति का विवाह उस राजकुमार से कर दें. उनके माता-पिता ने ऐसा ही किया.
ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी. प्रदोष व्रत के प्रभाव से गन्धर्व सेना ने विदर्भ राज से शत्रु सेना को खदेड़ दिया. राजकुमार विदर्भ का राजा बना और ब्राह्मण लड़का प्रधानमंत्री. सभी यहां सुख पूर्वक रहने लगे. मान्यता है कि प्रदोष व्रत के प्रभाव से जैसे ब्राह्मणी के दिन बदल गए वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन बदल देते है.