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देशभर में आज मनाया जा रहा है बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव, यह दिन क्यों है खास

आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव माना जा रहा है. इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इस दिन को वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू धर्म इस दिन खास महत्व है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी स्नान कर दान करने की प्रथा है. इसी दिन भगवान बुद्ध को वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. तो चलिए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास और महत्व.

बुद्ध पूर्णिमा न केवल बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए, बल्कि हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भी बहुत मायने रखती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं. इसी वजह से सनातन धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा बेहद पवित्र मानी जाती है.

भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी सैकड़ों सालों से बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है. बुद्ध पूर्णिमा को 20वीं सदी से पहले आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्ज़ा प्राप्त नहीं था. सन् 1950 में बौद्ध धर्म की चर्चा करने के लिए श्रीलंका में विश्व बौद्ध सभा का आयोजन किया गया जिसके बाद इस सभा में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाने का फैसला हुआ. बुद्ध पूर्णिमा पर्व भगवान बुद्ध के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है. भारत में बौद्ध मानवता और मनोरंजन की अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है.

क्यों है यह दिन खास -
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध को वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान यानी बुद्धत्‍व की प्राप्‍ति हुई थी. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने कुशीनगर में अपना शरीर छोड़ा था. यही वजह है कि इस दिन को बुद्ध जयंती और महानिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्‍य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.