अपरा एकादशी आज यानि रविवार को है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत की काफी महिमा है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने वाले जातकों के जीवन में पापों और कष्टों का नाश होता है। ऐसे जातक जातक सुखों को भोगते हुए ईश्वर को प्राप्त होता है। एकादशी व्रत के कई नियम होते हैं। उसमें से एक है कि एकादशी वाले दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इसका सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। वहीं चावल के साथ-साथ लहसुन, प्याज का सेवन भी इस दिन वर्जित है। कहा जाता है कि इसकी गंध से मन में काम भाव बढ़ाने की क्षमता के कारण अशुद्ध माना गया है।
एक कथा के अनुसार माता के क्रोध से रक्षा के लिए महर्षि मेधा ने देह त्याग दी थी। उनके शरीर का अंश भूमि में समा गया। कालांतर में वही अंश जौ एवं चावल के रूप में भूमि से उत्पन्न हुआ। कहा जाता है कि जब महर्षि की देह भूमि में समाई, उस दिन एकादशी थी। इसलिए प्राचीन काल से ही यह परंपरा शुरू हो गई कि एकादशी के दिन चावल एवं जौ से बने भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसलिए एकादशी के दिन इन पदार्थों का सेवन महर्षि की देह के सेवन के समान माना गया है।
एकादशी के दिन शरीर में जल की मात्र जितनी कम रहेगी, व्रत पूर्ण करने में उतनी ही अधिक सात्विकता रहेगी। आदिकाल में देवर्षि नारद ने एक हजार साल तक एकादशी का निर्जल व्रत करके नारायण भक्ति प्राप्त की थी। वैष्णव के लिए यह सर्वश्रेष्ठ व्रत है। चंद्रमा मन को अधिक चलायमान न कर पाएं, इसीलिए व्रती इस दिन चावल खाने से परहेज करते हैं।