आज है रंभा तीज व्रत. हिंदी पंचांग के अनुसार , जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रंभा तीज व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और माता लक्ष्मी की पूजा करती है. महिलाएं सोलहर श्रृंगार कर इस दिन सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं. हैं। इस तीज व्रत को अप्सरा रंभा ने भी किया था, इस वजह से इसे रंभा तीज के नाम से जाना जाता है. इस व्रत को रखने से औरतों का सुहाग और कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है. रंभा तीज का व्रत फलदायी होता है.
कथा -
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय मे एक ब्राह्मण दंपति सुख पूर्वक जीवन यापन कर रहे होते हैं. वह दोनों ही श्री लक्ष्मी जी का पूजन किया करते थे. पर एक दिन ब्राह्मण को किसी कारण से नगर से बाहर जाना पड़ता है वह अपनी स्त्री को समझा कर अपने कार्य के लिए नगर से बाहर निकल पड़ता है. इधर ब्राह्मणी बहुत दुखी रहने लगती है पति के बहुत दिनों तक नहीं लौट आने के कारण वह बहुत शोक और निराशा में घिर जाती है.
एक रात्रि उसे स्वप्न आता है की उसके पति की दुर्घटना हो गयी है. वह स्वप्न से जाग कर विलाप करने लगती है. तभी उसका दुख सुन कर देवी लक्ष्मी एक वृद्ध स्त्री का भेष बना कर वहां आती हैं और उससे दुख का कारण पूछती है. ब्राह्मणी सारी बात उस वृद्ध स्त्री को बताती हैं.
तब वृद्ध स्त्री उसे ज्येष्ठ मास में आने वाली रम्भा तीज का व्रत करने को कहती है. ब्राह्मणी उस स्त्री के कहे अनुसार रम्भा तीज के दिन व्रत एवं पूजा करती है. व्रत के प्रभाव से उसका पति सकुशल घर लौट आता है. जिस प्रकार रम्भा तीज के प्रभाव से ब्राह्मणी के सौभाग्य की रक्षा होती है, उसी प्रकार सभी के सुहाग की रक्षा हो.