हिंदू धर्म में गुरू पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है. इस दिन गुरु को सम्मान दिया जाता है. भारत में गुरुओं का बहुत ऊंचा स्थान है. क्योंकि बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है. उनके आशीर्वाद से जीवन में कल्याण होता है. गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से दूर रखते है. इस साल गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई को मनाया जाएगा. गुरू पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीने अध्ययन के लिये बड़े ही उपयुक्त माने जाते हैं। साधु-संत भी इस दौरान एक स्थान पर रहकर ध्यान लगाते हैं. आषाढ़ मास में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
आषाढ़ मास को हिंदू कैलेंडर का चौथा मास माना गया है. आषाढ़ मास का आरंभ 25 जून 2021 से होगा. 24 जुलाई 2021 को पूर्णिमा की तिथि के साथ आषाढ़ मास का समापन होगा. आषाढ़ मास का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. पूजा पाठ की दृष्टि से ये मास विशेष माना गया है.
गुरु पूर्णिमा कब है?
गुरु पूर्णिमा: 24 जुलाई
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 23 जुलाई, शुक्रवार को प्रात: 10 बजकर 43 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि का समापन: 24 जुलाई, शनिवार को प्रात: 08 बजकर 06 मिनट पर.
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु को विशेष दर्जा प्रदान किया गया है. गुरु को ईश्वर से भी अधिक पूज्नीय माना गया है. गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरुजनों को समर्पित है. मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का भी विशेष पुण्य बताया गया है. इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास का जन्मदिन भी मनाया जाता है. इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.
अध्ययन के लिए उत्तम समय
मान्यता है कि आषाढ़ पूर्णिमा से अगले चार माह अध्ययन के लिए उत्तम माने गए है. इस दौरान अनुशासित जीवन शैली को अपनाते हुए अध्ययन कार्य पूर्ण करना चाहिए. साधु-संत इस दौरान एकांत में रखकर ध्यान और अध्ययन क्रिया करते हैं.