हनुमान जी की पूजा से हर प्रकार के कष्ट का नाश होता है. हनुमान जी के पास आपार शक्तियां हैं. जिसकी वजह से उनके सामने किसी तरह का भय टिक नहीं पाता है. हनुमान जी कलयुग के रक्षक हैं. उनके पास आठ प्रकार की विधाओं का ज्ञान है. जिससे वह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. हनुमान जी की पूजा से करियर और शिक्षा में आ रही बाधा भी दूर हो जाती है. ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार विधिवत हनुमान जी पूजा करनी चाहिए था साथ हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए.
हनुमान पूजा का महत्व
मान्यता है कि कलियुग में हनुमान जी की पूजा सभी प्रकार के दुख और कष्टों को दूर करने में सक्षम है. हनुमान जी बल और बुद्धि के दाता है. उनमें अपार शक्तियां है. वे आठ प्रकार की विधाओं के जानकार हैं. उनके सामने किसी भी प्रकार का भय नहीं टिकता है. हनुमान जी की पूजा शिक्षा और करियर से जुड़े मामलों में सफलता देती है. मंगलवार को हुनमन जी की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
अभिजित मुहूर्त में करें हनुमान जी की पूजा
पंचांग के अनुसार अभिजित मुहूर्त में पूजा और शुभ कार्य को करने का अभिजित फल प्राप्त होता है. 15 जून, मंगलवार को पंचांग के अनुसार अभिजित मुहूर्त का समय प्रात: 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.
सूर्य का राशि परिवर्तन
पंचांग के अनुसार इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है. सूर्य वृष राशि से निकल कर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य का यह राशि परिवर्तन मिथुन संक्रांति भी कहलाता है.
हनुमान जी सूर्य को निगल गए
पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने बाल्यावस्था में खेल खेल में ही सूर्य को निगल लिया था. जब इस बात की जानकारी इंद्र देव को हुई तो अपने श्वेत ऐरावत हाथी पर सवार सूर्य का पता लगाने के लिए निकले. दूर से इंद्र को आता देख हनुमान जी को प्रतीत हुआ कि ये कोई सफेद रंग का फल है. हनुमान जी तेजी से इंद्र की तरफ लपके, इंद्र को हनुमान जी की इस शरारत को देख क्रोध आ गया, अपनी सुरक्षा करते हुए हनुमान जी की ठुड्डी पर अपना वज्र मार दिया. जिससे हनुमान जी का मुख खुल गया और सूर्य देव बाहर आ गए. लेकिन वज्र के प्रहार से हनुमान जी बेहोश हो गए.
हनुमान जी के पिता पवन और माता अंजनी को इस बात का जब पता चला तो वे क्रोध में आ गए. क्रोध में आकर हनुमान जी के पिता ने वायु को रोक दिया. वायु को रूकने से सभी परेशान हो गए. तब सभी देवी देवताओं ने क्षमा मांगी, ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को ठीक किया. ब्रह्मा जी और सभी देवताओं ने मिलकर वरदान दिया कि इस वालक पर कोई भी अस्त्र और शस्त्र का असर नहीं होगा. वज्र से ठुड्डी टुटने के कारण इस बालक को हनुमान के नाम से जाना जाएगा.