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शरद पूर्णिमा के दिन क्यों खाई जाती है खीर ?, जानें धार्मिक महत्त्व

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत महत्त्व है. शरद पूर्णिमा तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है. इस साल आज यानी 19 अक्टूबर 2021 के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है लेकिन पंचांग भेद होने के कारण कई जगहों पर शरद पूर्णिमा का पर्व कल यानि 20 अक्टूबर 2021 को भी मनाया जा रहा है. ये माना जाता है कि इस दिन आसमान से अमृत की बारिश होती है और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. शरद पूर्णिमा 2021 सही तिथि और शुभ मुहूर्त अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर 2021 को शाम 07 बजे से प्रारंभ होगी जो कि 20 अक्टूबर 2021 को रात 08 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी. खीर क्यों खाई जाती है हिंदू शास्त्रों में माना गया है कि शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से अमृत गिरता है. इसलिए इस दिन खीर बनाकर चांदी के बर्तन में रखकर किसी पतले कपड़े या छन्नी से ढ़क कर खुले आसमान के नीचे रख दिया जाता है ताकि अमृत का कुछ अंश खीर में आ जाए. इसके पीछे का तर्क है कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है. इस कारण चांद की चमकदार रोशनी दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है. वहीं, खीर में पड़े चावल इस काम को और आसान बना देते हैं. चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च इसमें मदद करते हैं. इसके साथ ही, कहते हैं कि चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. इस खीर खाने से पित बाहर निकलता है. ऐसा माना जाता है कि इस खीर को सुबह खाली पेट खाने से सभी रोग दूर होते हैं. धार्मिक महत्त्व शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी की उत्पति हुई थी. इस दिन रात में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती है. इस दौरान जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ मां का आह्वान करते हैं तो उन पर मां की विषेष कृपा रहती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण जब वृन्दावन में महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी. व्रत नियम शरद पूर्णिमा का व्रत फलाहार रखा जाता है. जो लोग व्रत नहीं रखते हैं वह इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. शरद पूर्णिमा के दिन लोगों को काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए. इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण कर मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान व्रत कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है.