दीपावली का त्योहार आज मनाया जा रहा है. दीपक की जगमगाती रोशनी के बीच माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा - अर्चना की जाती है. शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं. खुशहाली भरे इस त्योहार में मां लक्ष्मी सब पर अपनी कृपा करती हैं. ऐसा माना गया है कि इस दिन दीया अवश्य जलाना चाहिए जिससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा बना रहे. लेकिन क्या आपको पता है धनतेरस से लेकर दिवाली के त्योहार तक घर में कुछ खास जगहों पर दीपक जरूर जलाए जाने चाहिए. मान्यता है कि दीपावली की संध्या पर लक्ष्मी पूजन से पहले घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाया जाना चाहिए. माना जाता है कि इस दिन देवी घर-घर घूमती हैं, इसलिए उनके स्वागत की पूरी तैयारी होनी चाहिए. घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर एक-एक दिया जलाएं. इससे देवी गृहप्रवेश करती हैं. - अपने निकट के किसी मंदिर में जाकर दीप जलाएं. संभव हो तो हर मूर्ति के पास दीया जला कर रखें. साथ ही घर के नजदीक मुख्य चौराहे पर दीपक जलाकर आएं. इससे राहगीरों को रौशनी मिलती है और दिया जलाने वाले पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. - लक्ष्मी पूजन के बाद पीपल के पेड़ के नीचे घी का एक दीप जरूर जलाएं. माना जाता है कि पीपल के पेड़ में देवताओं का निवास होता है, तो यहां दिया जलाना बरकत लाता है. - घर के आंगन में तुलसी के पौधे के पास तेल से भरा एक दीपक जलाना चाहिए. इससे घर में सुख का वास होता है. इसके अलावा अगर आपके पास वाहन है तो वाहन के समीप एक दीपक जरूर जला कर रखें. - दीपावली की रात घर के चारों कोनों में चार मुख वाले दीपक जरूर जलाने चाहिए और भगवान गणेश से अपने चारों तरफ सुख समृद्धि की कामना करनी चाहिए. - घर में नल के पास यानी किसी भी जल स्रोत के निकट एक दीपक जला कर जरूर रखें. मान्यता है कि मां लक्ष्मी जल के रूप में भी घर में उपस्थित रहती हैं. - इसके अलावा मान्यता यह भी है कि रात में दो दीपक रसोईघर में जरूर जलाने चाहिए. इससे मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से अन्न में वृद्धि होती है. लक्ष्मी पूजन की विधि धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्मी की पूजा: मूर्ति स्थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें. ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
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