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क्यों लिया भगवान शिव ने नटराज अवतार

हिन्दू धर्म में हर दिन हर एक देवी देवताओं को समर्पित है. भगवान शिव जिन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है. उनके कई रूप है जिनसे हमें प्रेरणा मिलती है. उनके नटराज अवतार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आइए, जानते हैं महादेव के नटराजन अवतार की कहानी- एक बार की बात है मां पार्वती के कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे वर मांगने के लिए कहा. पार्वती जी ने कहा कि देवताओं के कार्य सिद्ध करने के लिए आप मेरा पाणिग्रहण करें. आप मेरे पिता के पास भिक्षु के रूप में जाइए और अपना यश प्रकट कर मुझे उनसे मांग लीजिए. माता पार्वती की बात सुनकर भगवान शिव कहते हैं तथास्तु. एक दिन राजा हिमालय की पत्नी और पार्वती जी की मां मेना और पार्वती जी आंगन में बैठे हुए थे. राजा हिमालय गंगा स्नान करने गए थे. तभी वहां पर भगवान शिव अपना रूप बदलकर पहुंच गए. उन्होंने मनोहर गीत गाते हुए नृत्य की प्रस्तुति दी. जिससे प्रसन्न होकर रानी मेना ने रत्नों से भरा सोने का पात्र रूप बदले शिव जी को दिया. लेकिन भगवान शिव ने उसे लेने से इनकार कर दिया और भिक्षा के रूप में माता पार्वती को मांग लिया. यह सुनकर मेना क्रोधित हुईं और भगवान शिव को महल से बाहर जाने के लिए कहा. तभी भगवान शिव ने अपना प्रभाव दिखाया और वे कभी विष्णु रूप में दिखते, कभी ब्रह्मा रूप में दिखते और कभी सूर्यरूप में दिखाई देते. फिर वह परम तेजस्वी रुद्ररूप धारण कर माता पार्वती के साथ मनोहर परिहास करते हुए दिखाई दिए. उन्होंने पर्वतराज हिमालय और रानी मेना से भिक्षा में पार्वती को ही मांगा और अंतर्ध्यान हो गए. राजा हिमालय और मेना यह सब देख अचंभित हो गए और उन्होंने कहा कि भगवान शिव को हमें अपनी कन्या पार्वती दे देना चाहिए. इस तरह माता पार्वती की मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान शिव ने नटराज अवतार धारण किया.