हिन्दू धर्म में भगवान शिव को प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है। सनातन धर्म में भगवान शिव को अनेकों नामों से जाना जाता है। जैसे भोलेनाथ, शंकर, आदिदेव, महेश, रूद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि। पुराणों के अनुसार भोलेनाथ स्वयंभू हैं, फिर भी भगवान शंकर के जन्म से जुड़ी कई रहस्मयी कहानियां काफ़ी प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शंकर की उपासना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है, और शिव जी उस पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। भगवान शंकर के बारे में ऐसी कई बातें हैं जो सामान्यत: आम व्यक्तियों को पता नहीं हैं। आज हम आपको भगवान शंकर से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। -शिव जी से हुई कई राक्षसों की उत्पत्ति पुराणों के अनुसार जालंधर नामक राक्षस की उत्पत्ति भगवान शंकर के तेज से हुई थी। इसलिए उसे पुराणों में शिव जी का ही एक अंश माना जाता है। एक अन्य राक्षस भूमा की उत्पत्ति भोलेनाथ के माथे के पसीने की बूंद से हुई थी। इसके अलावा अय्यप्पा, भोलेनाथ और मोहिनी के संयोग से जन्मे थे। 2. क्यों नहीं मिलता कोई वर्णन? कुछ पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि अंधक और खुजा, भगवान शंकर के पुत्र थे परन्तु धर्म शास्त्रों में इन दोनों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। 3. भगवान शिव के प्रथम शिष्य माना जाता है कि सप्तऋषि, भगवान शंकर के प्रारंभिक शिष्य थे। ऐसा माना जाता है कि इन सप्तऋषियों के द्वारा ही पृथ्वी पर भगवान शिव के ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया गया था। 4. क्या शिव और शंकर एक ही हैं? कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम मानते हैं परन्तु तस्वीरों में दोनों की आकृति अलग-अलग है। कई जगह तस्वीरों में शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए चित्रित किया गया है। 5. भगवान शिव की पत्नियां भगवान शिव की पत्नियों के बारे में शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। पहली पत्नी प्रजापति दक्ष की पुत्री सती हैं, उन्हीं ने दूसरा जन्म हिमवान के यहां लिया और पार्वती के नाम से जानी गईं। कहा जाता है इनके अलावा गंगा, काली और उमा भी भगवान शिव की पत्नियां हैं। 6. भगवान शिव के कितने पुत्र हैं? भगवान शिव और माता पार्वती के पहले पुत्र कार्तिकेय हैं। गणेश जी दूसरे पुत्र, जिन्हें माता पार्वती ने उबटन से निर्मित किया। एक अनाथ बालक जिसका नाम सुकेश था उसे भी भगवान शिव ने पाला। जालंधर, शिव जी के तेज से उत्पन्न हुए और अय्यप्पा, शिव जी और मोहिनी के संयोग से जन्में। भूमा उनके ललाट से टपके पसीने से जन्में। अंधक और खुजा का ज़्यादा उल्लेख नहीं मिलता। 7. हर काल में दिया दर्शन ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्होंने हर काल में अपने भक्तों को दर्शन दिया है। वे सतयुग में समुद्र मंथन के समय भी उपस्थित थे और त्रेतायुग में श्री राम के समय भी। वे द्वापरयुग के महाभारत काल में भी थे और कलियुग में विक्रमादित्य को भी शिव जी के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है।
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