इस बार साल 2022 के होलाष्टक का प्रारंभ 10 मार्च से हो रहा है, जो 17 मार्च को होलिका दहन तक रहेगा। होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन हो जाता है। हिंदू धर्म में होलाष्टक के 8 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक 8 ग्रह उग्र रहते हैं। इन ग्रहों में सूर्य, चंद्रमा, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु शामिल होते हैं। इन ग्रहों के उग्र रहने से मांगलिक कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण इन 8 दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। आइए जानें होलाष्टक में कौन-कौन से कार्य करना वर्जित माना जाता है। होलाष्टक में कभी भी विवाह, मुंडन, नामकरण आदि 16 संस्कार नहीं करने चाहिए। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा के मध्य तक किसी भी दिन ना तो नए मकान का निर्माण कार्य प्रारंभ करें और ना ही गृह प्रवेश करें। होलाष्टक के दिनों में नए मकान, वाहन, प्लॉट या प्रॉपर्टी को बेचने या ख़रीदने से बचें। होलाष्टक के समय में कोई भी यज्ञ, हवन आदि कार्यक्रम नहीं करना चाहिए। उसे होली के बाद या उससे पहले कर सकते हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के समय में नौकरी परिवर्तन से बचना चाहिए। नई जॉब ज्वाइन करनी है, तो होलाष्टक से पहले या बाद में करें। यदि अत्यंत ही आवश्यक है, तो कुंडली के आधार पर किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह ले सकते हैं। होलाष्टक के समय में कोई भी नया बिज़नेस शुरु करने से बचना चाहिए। इस समय में ग्रह उग्र होते हैं। नए बिज़नेस की शुरुआत के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जाता है। ग्रहों की उग्रता के कारण बिज़नेस में हानि होने का डर हो सकता है। होलाष्टक के समय में आप भगवान के भजन, कीर्तन, पूजा-पाठ आदि जैसे कार्य कर सकते हैं। इनके लिए कोई मनाही नहीं होती है। किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह से आप अपने उग्र ग्रहों की शांति के लिए उपाय कर सकते हैं।
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