हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्त्व है। हर माह में अमावस्या तिथि आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि शनिवार 30 अप्रैल को है। शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या भी कहते हैं। शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा आराधना का विशेष महत्त्व होता है। इस दिन शनि दोष को खत्म करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। इस बार शनि अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है लेकिन भारत में सूर्य ग्रहण आंशिक रहेगा जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा। शनि अमावस्या तिथि 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि आज यानि 29 अप्रैल को रात 12 बजकर 57 मिनट से शुरू हो चुकी है। जो 30 अप्रैल, शनिवार को रात 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। महत्त्व और स्नान-दान का शुभ मुहुर्त सनातन धर्म में स्नान, दान, तप और ध्यान का विशेष महत्त्व होता है। ऐसे में अमावस्या तिथि पर शुभ योग और मुहूर्त में स्नान और दान करने पर हर तरह की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है। 30 अप्रैल को शनि अमावस्या सुबह के समय प्रीति योग का निर्माण होगा फिर उसके बाद आयु्ष्मान योग शुरू हो जाएगा। शनि अमावस्या पर अश्विनी नक्षत्र होगा। ऐसे में शुभ योग और शुभ नक्षत्र के दौरान स्नान और दान करने सभी तरह के शुभ फलों की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्ताओं के अनुसार अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इस दिन पितरों की भी पूजा करते हैं। अमावस्या पर पिंडदान, तर्पण आदि करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है। शनि अमावस्या का महत्व जब शनि के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो इसका विशेष महत्व होता है। इस दौरान कुछ विशेष कार्य अवश्य करना चाहिए। - शनि अमावस्या पर शनि मंदिर में जाकर शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। - शनिदेव को शनि अमावस्या पर काला तिल, सरसों का तेल, नीले रंग का फूल जरूर चढ़ाएं। - जिन लोगों के ऊपर शनि दोष या शनि साढ़ेसाती का प्रभाव है उन्हें शनि से जुड़े मंत्रों का जाप करना चाहिए। - शनि अमावस्या पर गरीबों को भोजन कराने और असहाय लोगों की मदद करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।
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