शनिदेव कर्म के देवता है. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए श्रद्धालु इस दिन उनकी पूजा अर्चना करते हैं. साथ ही सरसों का तेल उन पर चढ़ाते हैं. ताकि उनकी नाराजगी दूर हो. तेलाभिषेक शनिदेव को प्रसन्न करने का अचूक उपाय है. शनिवार के दिन सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करने से वह प्रसन्न होते हैं. जिससे धन-वैभव, मान-सम्मान, सुख शांति आदि की प्राप्ति होती है. भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. तो आइए जानें तेलाभिषेक की कथा - कथा रामायण की एक कथा के अनुसार रावण ने शनिदेव को कैद कर लिया था. जब माता सीता की खोज के लिए हनुमान जी लंका गए तो शनिदेव को रावण के अधीन कैद में देखा. हनुमान जी को देखकर शनिदेव ने खुद को रावण से मुक्त कराने की बात कही. तब हनुमान जी ने कैद से मुक्त कराने के लिए शनिदेव को लंका से दूर फेंका ताकि वे सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं. हनुमान जी के द्वारा शनिदेव को फेंके जाने पर बहुत चोट लग गई. शनिदेव की पीड़ा देखकर हनुमान जी ने उनके घाव पर सरसों का तेल लगाया. इससे शनिदेव को आराम मिला और वे बहुत खुश हुए. तभी से शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. तेलाभिषेक के लाभ शनिवार के दिन शनि देव का सरसों के तेल से अभिषेक करना और पूजा में सरसों का तेल अर्पित करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इससे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से भक्त को छुटकारा मिलता है और बिगड़ा काम पूरा होता है. नौकरी और व्यवसाय में उन्नति होती है. शनि देव को तेल चढ़ाने से बंजरगबली की भी कृपा बनी रहती है.
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