शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। शनिवार के दिन शनिदेव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। उनकी क्रूर दृष्टि से सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि देवता भी डरते हैं। लोगों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब शनिदेव ही रखते हैं। ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए हर शनिवार के दिन मंदिर में सरसों का तेल और सरसों के तेल का दीया चढ़ाया जाता है, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। शनिदेव को सिर्फ सरसों का तेल ही अर्पित किया जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि शनिदेव को सिर्फ सरसों का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है? चलिए जानतें हैं इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में... जानें पौराणिक कथा रामायण काल के दौरान शनिदेव को अपने बल और पराक्रम पर घंमड हो गया था और उसी समय हनुमान जी के पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैल रही थी। जब शनिदेव को हनुमान जी के बल का पता लगा तो वे हनुमान जी के साथ युद्ध के लिए निकल पड़े। लेकिन जब शनिदेव, हनुमान जी के पास पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वे एक शांत स्थान पर श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे हैं। हनुमान जी को श्रीराम का नाम लेते देख, शनिदेव ने उन्हें युद्ध के लिए उकसाया। लेकिन हनुमान जी ने शनिदेव को समझाकर युद्ध न करने के लिए कहा। लेकिन शनिदेव भी हनुमान जी से युद्ध के लिए अड़े रहे। शनिदेव के इनता बोलने के बाद हनुमान जी युद्ध के लिए तैयार हो गए और दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में शनिदेव का घमंड चूर हो गया और वे हार गए। हनुमान जी के प्रहार से उनके शरीर पर कई चोटें आईं और शनिदेव दर्द से परेशान हो गए। इसके बाद हनुमान जी ने शनिदेव की चोटों पर सरसों का तेल लगाया, जिससे उनका दर्द दूर हुआ। उसके बाद शनिदेव ने कहा कि, “आज के बाद जो भी मुझे सच्चे मन से सरसों का तेल चढ़ाएगा, उनको शनि से संबंधित सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलेगी।” तब से ही शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा है। यह है मान्यता शनिदेव को लेकर मान्यता है कि शनिवार के दिन उन पर सरसों का तेल चढ़ाने से शनिदेव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। इससे लोगों की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। ऐसा करने से शनि ढैय्या, साढ़ेसाती और शनि महादशा का प्रभाव कम हो जाता है।
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