भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की लीला भूमि के रुप में जाना जाने वाला जगन्नाथ मंदिर। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसे देखने दुनियाभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। पूरी के जगन्नाथ धाम को धरती का बैकुंठ कहा जाता है। जो भगवान विष्णु के अवतार जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की लीला भूमि है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ जी की रथ यात्र निकाली जाती है। इस बार यह रथ यात्रा 1 जुलाई 2022 से शुरु हो चुकी है। भगवान जगन्नाथ के साथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं और फिर एक सप्ताह बाद अपने मंदिर में वापस लौटते हैं। यहां से जुड़े ऐसे कई रहस्य है जिन्हें आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है। कहते हैं कि यहां विराजमान भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में आज भी श्रीकृष्ण का ह्रदय धड़कता है। लेकिन इसबात में कितनी सच्चाई है, इसका पता तो आजतक कोई नहीं लगा पाया है। यहां हर 12 साल में भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति बदली जाती है और इस प्रक्रिया के दौरान पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। कहा जाता है कि इस दौरान पुरानी मूर्ति से ब्रह्म पदार्थ नई मूर्ति में डाली जाती है। आपको बता दें कि भगवान के हृदय अंश को ही ब्रह्म पदार्थ कहा जाता है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में मानव शरीर में जन्म लिया था तो प्रकृति के नियम के अनुसार उनकी मृत्यु निश्चित थी। जब श्रीकृष्ण की मृत्यु हुई तो पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान एक ऐसी आश्चर्यजनक घटना घटी कि श्रीकृष्ण का पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन उनका ह्रदय लगातार धड़क रहा था, जिसे भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा में रखा गया। जब हर 12 साल के बाद मूर्ति बदली जाती है तो इस दौरान कई सावधानियां बरती जाती हैं। इस दौरान मंदिर के आसपास अंधेरा कर दिया जाता है। साथ ही जो पुजारी यह कार्य करता है उसकी आंखों पर पट्टी बंधी होती है और हाथों में कपड़ा लपेट दिया जाता है। ताकि इस रस्म को कोई देख ना पाए। ऐसा माना जाता है कि इस रस्म को जिसने देख लिया उसकी मृत्यु हो जाती है और ये कारण भी है कि जगन्नाथ जी की मूर्ति बदलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बांधी जाती है। आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ की ये मूर्ति लकड़ी की होती है।
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